Arvind Kejriwal: अरविंद केजरीवाल को SC से भी राहत नहीं, बड़ी बात कही

Update: 2024-06-24 07:13 GMT
नई दिल्ली: शराब घोटाला मामले में जमानत पर रोक खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. केजरीवाल के द्वारा दायर की गई याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा रिहाई पर रोक लगाने के फैसले को चुनौती दी गई है. जस्टिस मनोज मिश्र और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि हाई कोर्ट उनकी अर्जी इसलिए नहीं सुन रहा है क्योंकि ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित
है.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पहले हाई कोर्ट से अपनी अर्जी वापस लें, फिर हमारे पास आएं.
सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट का स्टे, न्याय प्रक्रिया का उल्लंघन है. इसके बाद जस्टिस मनोज मिश्र ने कहा कि हाई कोर्ट आज कल में फैसला सुनाने ही वाला है.
सिंघवी ने कहा कि अगर जमानत रद्द होती है, तो वह निश्चित रूप से जेल वापस जाएंगे. जैसा कि सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम जमानत के बाद हुआ था. उनके भागने का खतरा नहीं है. मान लीजिए कि हाई कोर्ट ने ईडी की याचिका खारिज कर दी, तो उस समय की भरपाई कैसे की जा सकेगी, जो केजरीवाल ने निचली अदालत से मिली जमानत के बाद बिना कारण जेल में काटा है.
केजरीवाल की तरफ से बात रखते हुए सिंघवी ने कहा, "मैं अंतरिम तौर पर क्यों नहीं रिहा हो सकता? निचली अदालत से मेरे पक्ष में फैसला आ चुका है."
जस्टिस मिश्रा ने कहा कि अगर हम अभी कोई आदेश पारित करते हैं, तो हम मामले पर हाई कोर्ट से पहले ही फैसला सुना देंगे.
केजरीवाल के वकील विक्रम चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अंतरिम आदेश दिया था, जिसमें केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने तब टिप्पणी करते हुए कहा था कि केजरीवाल दिल्ली के सीएम हैं, उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, उनकी फ्लाइट रिस्क यानी फरारी का का कोई खतरा नहीं है. अगस्त 2022 से जांच लंबित है और उन्हें मार्च 2024 में ही गिरफ्तार किया गया.
वीडीओ कांफ्रेंस के जरिए पेश हुए सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट ने इस मामले पर 10.30 बजे ही जमानत पर रिहाई के आदेश पर स्थगन का फैसला सुना दिया. वो भी बिना कारण बताए ही, स्थगन आदेश पारित किया गया. हमने हाई कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के पुराने 10 फैसले रखे, उनमें साबित है कि एक बार जमानत दिए जाने के बाद विशेष कारणों के बिना रोका नहीं जा सकता.
सीएम केजरीवाल की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि, 'जमानत आदेश पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट का तरीका कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के स्पष्ट आदेश के विपरीत है और यह उस बुनियादी मौलिक सीमा का उल्लंघन करता है जिस पर हमारे देश में जमानत के कानून आधारित हैं. केवल इसलिए कि याचिकाकर्ता एक राजनीतिक व्यक्ति है और केंद्र में सत्ता में मौजूदा सरकार का विरोधी है, केवल यह तथ्य उसके खिलाफ झूठा मामला बनाने का आधार नहीं हो सकता. इसके साथ ही याचिकाकर्ता को कानूनी प्रक्रिया से वंचित करने का भी आधार नहीं हो सकता.
याचिका में यह भी दर्ज किया गया है कि, कोर्ट के इस आदेश ने न्याय को चोट पहुंचाई ही है, साथ ही इससे याचिकार्ता को भी दुख पहुंचा है. कोर्ट के इस आदेश को एक पल के लिए भी जारी नहीं रखा जाना चाहिए. अदालत ने बार-बार यह माना है कि स्वतंत्रता से एक दिन के लिए भी वंचित होना ज्यादती है.
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