CBI चीफ की नियुक्ति: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कही ये बात, राकेश अस्थाना और YC मोदी रेस से हो गए बाहर

Update: 2021-05-25 10:22 GMT

सीबीआई चीफ के चुनाव को लेकर हाई पावर कमेटी की बैठक की गई थी. इस बैठक में पीएम मोदी, मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना और विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी मौजूद थे. इस मीटिंग में नए सीबीआई चीफ की नियुक्ति को लेकर चर्चा की गई.

सूत्रों की मानें तो 1984-87 बैच के 109 अधिकारियों के नाम में से कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने हाई पावर कमेटी के लिए 10 नाम शॉर्टलिस्ट किए थे. बाद में यह इस लिस्ट में सिर्फ 6 नामों को ही आगे बढ़ाया गया. इस रेस में बीएसएफ चीफ राकेश अस्थाना और एनआईए चीफ वाईसी मोदी भी शामिल थे.
इस नियुक्ति में अभूतपूर्व यह हुआ कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कमेटी के सामने 'सिक्स मंथ रूल' का जिक्र किया. उन्होंने प्रकाश सिंह के मामले में सुनाए गए लैंडमार्क जजमेंट की बात याद दिलाई. इस फैसले का विचार पुलिस प्रमुखों के कार्यकाल और चयन में आने वाली समस्याओं को ठीक करना था ताकि ऐसी स्थिति से बचा जा सके जहां कुछ महीनों के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी को पद दिया गया हो.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि 6 महीने से कम के कार्यकाल वाले किसी भी अधिकारी को प्रमुख के पद के लिए शामिल नहीं किया जा सकता है. राकेश अस्थाना 31 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं और वाईसी मोदी का कार्यकाल भी 31 मई को खत्म हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट के साल 2006 के फैसले के आधार पर इन लोगों को इस रेस में शामिल नहीं किया जा सकता है.
देश में पुलिस सुधार के लिहाज से प्रकाश सिंह मामले का फैसला काफी अहम है. यूपी और असम के डीजीपी के पद पर रह चुके प्रकाश सिंह साल 1996 में भारत में पुलिस के कामकाज में स्पष्ट अंतराल और खराब प्रथाओं को उजागर करते हुए अपनी सेवानिवृत्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने समस्या की गंभीरता को महसूस किया और कहा कि वह सरकारों द्वारा अपने दम पर कदम उठाने के लिए और इंतजार नहीं कर सकती. इस संबंध में अदालत ने कई निर्देश जारी किए थे. जो सरकारों के लिए बाध्यकारी थे और इन सुधारों पर एक कानून बनने तक उनका पालन किया जाना था. इन निर्देशों के हिस्से के रूप में, " सिक्स मंथ रूल" अस्तित्व में आया.
सीजेआई और विपक्ष के नेता के बीच सहमति के साथ ही 'सिक्स मंथ रूल' का पालन किया गया और इसके साथ ही राकेश अस्थाना और वाईसी मोदी इस रेस से बाहर हो गए. जिसके बाद कमेट की पास अंतिम तीन नाम विचार के लिए बचे. जिनमें महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी सुबोध कुमार जायसवाल, सशस्त्र सीमा बल के डीजी कुमार राजेश चंद्रा और गृह मंत्रालय के विशेष सचिव वीएसके कौमुदी शामिल हैं.


Tags:    

Similar News

-->