कोरोना महासंकट में संविदा पर हुए थे नियुक्त, लेकिन अब नर्स-लैब टेक्नीशियन क्यों मांग रहे भीख?
जब कोरोना की लहर से अर्थव्यवस्था जूझ रही है, लोगों का बजट बुरी तरह से प्रभावित है, ऐसे ही वक्त में इन संविदाकर्मियों के पास कोई रोजगार नहीं है.
झारखंड में कोरोना संक्रमण की लहर में संविदा के आधार पर बड़े स्तर पर सरकारी अस्पतालों में भर्ती निकाली गई थी. रिम्स में ही संविदा पर करीब 750 नर्स और लैब टेक्नीशियंस की नियुक्ति की गई थी. कोरोना की दूसरी लहर के 3 महीने बीत चुके हैं लेकिन संविदा पर नियुक्त स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन नहीं दिया गया है. यही वजह है कि गुरुवार को स्वास्थ्यकर्मियों ने रिम्स परिसर में ही भीख मांगकर अपना विरोध जताया.
रिम्स प्रबंधन ने कोविड की लहर बीतने के बाद स्वास्थ्यकर्मियों को बाहर का रास्ता जरूर दिखा दिया है. जब कोरोना की लहर से अर्थव्यवस्था जूझ रही है, लोगों का बजट बुरी तरह से प्रभावित है, ऐसे ही वक्त में इन संविदाकर्मियों के पास कोई रोजगार नहीं है. वेतन और अस्थाई नौकरी के लिए इन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है.
स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि हमने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया. जब कोरोना की भयंकर लहर में लोग अपनों से ही मिलने से डरते थे, ऐसे वक्त में भी हमने जान की बाजी लगाकर कोविड पॉजिटिव मरीजों की सेवा की है. कोविड की लहर बीते हुए 3 महीना बीत गया है लेकिन हमें वेतन नहीं दिया गया है.
संविदाकर्मियों ने कहा कि न तो हमें वेतन मिला है, न ही हमारे पास स्थाई नौकरी है. आर्थिक तंगी की हालत में हमारे पास न खाने के लिए खाना है, न ही रहने के लिए घर है. एक-एक पैसे के लिए अब हम तरस रहे हैं. यही वजह है कि हम रिम्स गेट के सामने भीख मांग रहे हैं, जिससे गुजर-बसर हो सके. अगर भीख भी नहीं मिलेगी तो हम लोग रिस्म परिसर में ही आत्मदाह करेंगे.
प्रशासन के नोटिस के बाद अब इन संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के पास कोई जॉब नहीं है. ऐसे में जाहिर तौर पर हालात बेहद खराब हैं. सरकार ने ही इन्हें नियुक्ति बहाल करने का भरोसा दे रही है, न ही बकाया पैसों का भुगतान किया जा रहा है. स्वास्थ्यकर्मी सरकार पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं.