एंटीलिया केस: सचिन वाजे की गिरफ्तारी को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई आज
सचिन वाजे मास्टमाइंड नहीं, लेकिन साजिश का छोटा हिस्सा- सूत्र
मुंबई: देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के करीब विस्फोटकों से भरी स्कॉर्पियो कार का मामला इस वक्त देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. जिस अधिकारी सचिन वाजे पर जांच की जिम्मेदारी थी, वो ही अधिकारी जांच के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंस चुका है. जांच एजेंसी एनआईए ने मुंबई पुलिस के एपीआई सचिन वाजे को गिरफ्तार कर लिया है. एनआईए का मानना है कि अभी तक की जांच के मुताबिक सचिन वाजे इस केस का मास्टरमाइंड नहीं है. लेकिन सूत्रों के मुताबिक सचिन वाजे साजिश का छोटा हिस्सा हैं.
इनोवा कार का एंटीलिया केस से क्या तालुल्क है?
abp न्यूज के पास मौजूद एक्सक्लूसिव सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, 24 फरवरी को एक इनोवा कार मुंबई पुलिस कमिश्नर ऑफिस के बाहर से निकल रही है. जबकि दूसरी फुटेज 13 मार्च की है, जब वही इनोवा कार कमिश्नर ऑफिस से निकल रही है. ये कार अब पुलिस के कब्जे में है. दरअसल एनआईए को शक है कि 24 फरवरी को इनोवा कार कमिश्नर ऑफिस से निकलने के बाद ठाणे गई थी. जहां उस कार की नंबर प्लेट बदली गई. ठाणे से इनोवा कार 25 फरवरी को मुलुंड टोल नाका पार कर मुम्बई आती है. इसके बाद इनोवा कार स्कॉर्पियो कार के पास पहुंचती है. फिर दोनों कार एक साथ मुकेश अंबानी के बंगले के पास पहुंचती है. विस्फोटकों से भरी स्कॉर्पियो कार को वहीं छोड़ दिया जाता है और दोनों कार के ड्राइवर इनोवा में बैठकर वहां से फरार हो जाते हैं.
इसके बाद रात करीब तीन बजे इनोवा मुलुंड टोल नाका पार करती है. तब कार का नंबर MH04AN**** होता है. इनोवा फिर से सुबह करीब 4 बजे मुलुंड टोल पार कर मुम्बई वापस आती है. अब कार का नंबर MH10AZ हो जाता है. पीपीई किट पहना इनोवा कार का ड्राइवर उस जगह जाता , जहां स्कॉर्पियो कार खड़ी की थी. स्कॉर्पियों की जांच के बाद सुबह करीब साढ़े 5 बजे कार मुलुंड टोल पार कर वापस ठाणे की तरफ चली जाती है. बार-बार इनोवा कार की नंबर प्लेट बदली जा रही थी.
क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट की है इनोवा कार
कार जब मुम्बई में पहली बार आई उस समय एक फुटेज में एजेंसियों को गाड़ी के पीछे के नंबर प्लेट के नीचे एक प्लास्टिक स्टिकर नजर आया था. एजेंसियों को शक था कि डेंट मार्क छुपाने के लिए लगाया गया होगा. कार जब मुम्बई में वापस आई उस समय भी गाड़ी के पीछे एक प्लास्टिक का स्टिकर नजर आ रहा था. मुंबई क्राइम ब्रांच ने भी बरामद इनोवा कार क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के होने की बात मानी है. जिसे वाजे और उनकी टीम इस्तेमाल करती थी. घटना के बाद उस इनोवा को पुलिस की ही मोटर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में रिपेयरिंग के लिए दिया गया था.
एनआईए ने वाजे पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज कराया है, जिसमें साजिश, धमकी जैसे गंभीर आरोप हैं. वाजे के खिलाफ आपराधिक साजिश के लिए धारा 120 बी, विस्फोटक केस में लापरवाही के लिए धारा 286, जालसाजी के लिए धारा 465, जाली सील के इस्तेमाल के लिए धारा 473 और धमकी देने के लिए धारा 506 (2) के तहत केस दर्ज किया है.
साजिश का मास्टरमाइंड कौन है?
अब एनआईए के सामने सबसे बड़ा चैलेंज सचिन वाजे से मास्टरमाइंड का नाम उगलवाना है. हालांकि आज सचिन वाजे की गिरफ्तारी को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हो सकती है. सचिन वाजे के वकील सनी पुनमिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है. इससे पहले एनआईए कोर्ट में भी सचिन वाजे के वकील ने कहा कि पूरा मामला शक के आधार पर है, इसलिए ये गिरफ्तारी पूरी तरह से गैरकानूनी है, क्योंकि वाजे के खिलाफ कोई सबूत भी नहीं हैं. जिसके जवाब में एनआईए ने कोर्ट में जांच से संबंधित कागजात और सीसीटीवी की जानकारी रखते हुए कहा कि यह एक बड़ी साजिश है, इसलिए गिरफ्तारी और रिमांड जरूरी है.
NIA की रडार में वाजे के फंसने की क्या वजह है?
इस मामले में एक अहम शख्स मनसुख सामने आया था. शुरुआती जांच के दौरान स्कॉर्पियों कार मनसुख के होने की बात सामने आई थी. मुंबई में इस मामले की जांच अपराध शाखा में पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाजे को सौंप दी गई. सचिन वाजे ने मनसुख से पूछताछ की थी, लेकिन इसके बाद मनसुख की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. इसके बाद मनसुख के परिजनों ने आरोप लगाया कि स्कॉर्पियो कार सचिन और उनकी टीम के पास ही थी.
अब एनआईए की जांच का दायरा दो कारों के इर्दगिर्द घूम रहा है. एनआईए जानना चाहती है कि सचिन वाजे को इस मामले की जांच रूटीन प्रक्रिया के तहत सौंपी गई थी या फिर किसी के इशारे पर उसे इस मामले का जांच अधिकारी बनाया गया था. एनआईए यह भी जानना चाहती है कि इस पूरी साजिश का मकसद क्या था, क्योंकि सचिन वाजे ने अब तक जो भी बयान दिए हैं, उसके मुताबिक इस साजिश का पूरा मकसद सामने नहीं आ पाया है और एनआईए को लगता है कि सचिन वाजे सिर्फ एक मोहरा है. मास्टरमाइंड कोई और है तो बड़ा सवाल यही है कि क्या इसके पीछे नेताओं का भी हाथ है. क्या पूरे मामले में कोई बड़ी राजनीतिक साजिश हो रही है?