मुंबई: तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भले ही राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्ष का झंडा बुलंद करना चाह रही हों लेकिन फिलहाल ऐसा लगता है कि विपक्ष के अन्य नेता इस मीटिंग को ज्यादा भाव देते नजर नहीं आ रहे हैं। इसी कड़ी में शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि उद्धव ठाकरे इस मीटिंग में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। हालांकि उन्होंने इसका कारण भी बताया है।
दरअसल, ममता बनर्जी ने विपक्षी नेताओं को पत्र लिखकर उनसे प्रस्तावित बैठक में भाग लेने का अनुरोध किया है, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि हमें 15 जून की बैठक का निमंत्रण मिला है। लेकिन हम उस समय अयोध्या में होंगे, इसलिए हमारी पार्टी के एक प्रमुख नेता बैठक में भाग लेंगे। संजय राउत का यह बयान ऐसे समय में आया जब सीता राम येचुरी ने भी इस बैठक के बारे में अपनी राय दी है।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने तो साफ-साफ कह दिया कि ऐसी बैठकें काफी आपसी विचार-विमर्श के बाद आयोजित की जाती हैं। यह परामर्श चल ही रहे थे और एक समय और एक तारीख तय की गई थी। ममता ने एकतरफा पत्र लिखा है, यह बेहद असामान्य है। कोई भी एकतरफा कार्रवाई केवल विपरीत को सुनिश्चित करेगी और विपक्षी एकता को नुकसान पहुंचाएगी।
हालांकि ममता बनर्जी की इस बैठक के आह्वान के बाद कांग्रेस की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया जरूर आई है। रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राकांपा प्रमुख शरद पवार, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और विपक्षी दलों के कई अन्य नेताओं से बात की है। कोराना वायरस से संक्रमित होने के मद्देनजर उन्होंने ममता बनर्जी से बातचीत की जिम्मेदारी मल्लिकार्जुन खड़गे को दी है।
बता दें कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने विपक्षी नेताओं को पत्र लिखकर उनसे नई दिल्ली में 15 जून को प्रस्तावित बैठक में भाग लेने का अनुरोध किया है, ताकि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उत्तराधिकारी के लिए 18 जुलाई को होने वाले चुनाव के वास्ते एक साझा रणनीति तैयार की जा सके।