भारी बारिश के बीच दोनों पक्षों ने बरसाए पत्थर, 117 घायल, दो की हालत गंभीर
छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा में शुक्रवार को ऐतिहासिक गोटमार मेला का आयोजन हुआ। भारी बारिश के बीच पांढुर्णा और सावरगांव के लोगों ने नदी के दोनों छोर में मौजूद होकर एक-दूसरे पर पत्थर बरसा कर वर्षों पुरानी परंपरा की रस्म निभाई। इस दौरान पत्थरबाजी से 117 लोग घायल हुए। घायलों में दो की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। मेले के दौरान भारी पुलिस बल तैनात रहा लेकिन हर साल की तरह इस साल भी शासन-प्रशासन के प्रतिनिधि असहाय नजर आए। इस साल गोटमार जाम नदी में बहते खिलाड़ियों के लिए रेस्क्यू टीम की तैनाती की गई थी।
मप्र के पांढुर्णा में करीब 300 साल से गोटमार मेले का आयोजन हो रहा है। जिसमें दो गांवों के लोग एक-दूसरे पर जमकर पथराव करते हैं। किवदंती है कि सालों पहले पांढुर्णा का लड़का साबर गांव की लड़की को प्रेम प्रसंग के चलते भगा कर ले गया था, दोनों जैसे ही जाम नदी में पहुंचे तो लड़की और लड़के के परिवार वालों ने उन पर पत्थरों से हमला कर दिया था, जिससे दोनों की बीच नदी में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से लोग प्रायश्चित स्वरूप एक दूसरे को पत्थर मारकर गोटमार मेला मनाते हैं। इस परंपरा में अब तक 14 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, फिर भी गोटमार मेला जारी है।
शुक्रवार को यहां चंडी मां की पूजन-अर्चना के बाद जाम नदी के बीचो-बीच पलाश का पेड़ लगाकर पूजा-अर्चना की गई। पलाश के पेड़ पर झंडा लगाया गया। इसके बाद करीब 12.45 बजे गोटमार खेल शुरू हुआ। यहां पांढुर्णा और सावरगांव के ग्रामीणों ने एक-दूसरे पर जमकर पत्थर बरसाए। शाम तक इसमें 117 लोग घायल हो गए है। दो गंभीर घायलों को नागपुर रैफर किया गया है। बारिश के चलते जाम नदी का जलस्तर बढ़ गया था। इसलिए मौके पर एसडीआरएफ की टीम को भी तैनात किया गया था। कलेक्टर मनोज पुष्प समेत अन्य अफसर भी वहां मौजूद रहे। मेला स्थल और शहरभर में पुलिस बल तैनात किया गया था। गोटमार मेले के चलते पांढुर्णा में धारा 144 लागू कर हथियारों के प्रदर्शन पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। मेला स्थल पर दो एएसपी, सात एसडीओपी, 10 थाना प्रभारी, 30 एसआई, 50 एएसआई और करीब 500 एसएएफ, होमगार्ड, वन विभाग, जिला पुलिस बल के जवान तैनात रहे।
सावरगांव के बुजुर्ग तुकाराम मेले को लेकर बताते हैं कि मेला कब से शुरू हुआ, किसी को इस विषय में कुछ जानकारी नहीं है। पिछले कई सालों से मेले का आयोजन हो रहा है। जाम नदी में चंडी माता की पूजा के बाद सावरगांव पक्ष के लोग जाम नदी में पलाश के पेड़ को लगाकर उसमें भगवा झंडी बांधते हैं। उसे सावरगांव पक्ष के लोग अपनी लड़की मानते हैं क्योंकि लड़की भी साबर गांव से थी, फिर गोटमार मेला शुरू होता है, तो पांढुर्णा पक्ष के लोगों इस पलाश के पेड़ को छीनने के लिए सावरगांव के लोगों पर पत्थरबाजी करते हैं। आखिर में जब ये पेड़ तोड़ लिया जाता है तो दोनों पक्ष मिलकर चंडी मां की पूजा अर्चना कर इस गोटमार को खत्म करते हैं। कलेक्टर मनोज पुष्प ने बताया कि गोटमार मेला छिंदवाड़ा का पारंपरिक मेला है। प्रशासन ने घायल लोगों के उपचार के लिए एम्बुलेंस और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैसी तमाम व्यवस्था कर रखी थी। पुलिस टीम भी मौके पर मौजूद रहा। मेले के दौरान 117 लोग घायल हुए हैं। दो गंभीर घायलों को उपचार के लिए नागपुर रेफर किया गया है।