गूगल मैप का कमाल, 17 साल पहले गायब हुए शख्स को परिवार से मिलवाया

परिजनों ने उसकी तेरहवीं कर दी थी।

Update: 2022-02-22 11:51 GMT

ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक ऐसा शख्स मिला है जो महाराष्ट्र से 17 साल पहले गायब हो गया था। काफी तलाश के बाद भी पता नहीं चला तो परिजनों ने उसकी तेरहवीं कर दी थी। लेकिन अचानक इस कहानी में एक ट्विस्ट आ गया। साल 2005 में गायब हुआ यह युवक तकनीक की मदद से अपने परिवार से मिल गया है। इस मुलाकात में गूगल मैप ने बहुत अहम भूमिका निभाई है।

स्वर्ण सदन आश्रम के संचालक विकास गोस्वामी ने बताया कि रानू उन्हें 5 जून 2020 को रेलवे स्टेशन पर मिले थे। वह ज्यादा कुछ बता नहीं पा रहे थे। उन्हें मिर्गी के दौरे भी पड़ते थे। इसके बाद उन्हें आश्रम ले आए यहां पर इलाज शुरू कराया। स्वर्ण सदन आश्रम के काउंसलर कुलदीप ने बताया है कि रानू की मानसिक स्थिति अब थोड़ी ठीक है और वह कई बार नवलगांव बोलता रहता है। इसके बाद हमने गूगल मैप के जरिए नवलगांव इलाके की तलाश शुरू कर दी।
करीब छह महीने की कड़ी मेहनत के बाद नवलगांव के आसपास इलाके के गांव के कुछ मोबाइल नंबर सर्च किए। इसी दौरान कुलदीप का फोन महाराष्ट्र के राहू गांव में मोबाइल शॉप चलाने वाले संदीप घुमारे के यहां लग गया। कुलदीप ने संदीप से नवलगांव के बारे में बातचीत करके उसके मोबाइल पर रानू के कुछ फोटो भेजे। इसके बाद संदीप ने रानू की तस्वीरें अपने आसपास में सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। संयोगवश उस समय रानू के एक रिश्तेदार नानकराम संदीप के पास ही थे।
संदीप ने उन्हें रानू का फोटो दिखाया तो उन्होंने पहचान लिया। इसके बाद बाद ग्वालियर में स्वर्ण सदन आश्रम से संपर्क किया गया। फिर रानू को लेने उनका बेटा और पूरा परिवार आ गया। जब रानू घर छोड़कर आए थे उस वक्त उनके बेटे की उम्र महज 6 साल थी। 17 साल बाद जब अपने पिता के सामने बेटा सुनील आया तो खुशी से उसकी आंखों से आंसू झरने लगे। वहीं इतने अरसे के बाद परिजनों को देखकर रानू भी अपने आंसू नहीं रोक सके।
बताया जा रहा है कि रानू तान्या महाराष्ट्र के अमरावती के नवलगांव थाने इलाके के चिखलद में रहते थे। रानू तान्या पेशे से किसान है वह खेतों में मेहनत-मजदूरी करते थे। रानू के घर में मां पुनिया, 4 छोटे भाई और 3 बड़ी बहनें थीं। बेटे सुनील तान्या ने बताया कि पिता जब गुम हुए थे उस समय वह 6 साल के थे। उन्होंने बताया कि पिता एक दिन अचानक रात को कहीं चले गए। उसके बाद आसपास के इलाकों, जंगलों के साथ अमरावती,सहित महाराष्ट्र के कई हिस्सों के साथ मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में तलाश की थी। उस समय पिता का मानसिक संतुलन ठीक नहीं थी। पिता के दुख में अप्रैल 2017 में दादा का निधन हुआ,उनकी तेरहवीं की साथ ही पिता रानू का भी तेरहवीं संस्कार कर दिया गया।
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