बीकानेर। बीकानेर राजस्थान राज्य अभिलेखागार बीकानेर देश का पहला डिजिटल अभिलेखागार है। यहां पूर्व रियासतों के ऐतिहासिक पौने दो करोड़ अभिलेख और दस्तावेज डिजिटल किए जा चुके हैं। इस तरह का कार्य देशभर में सभी राज्यों के अभिलेखागार करें। यह बात राष्ट्रीय अभिलेखागार (नेशनल आरकाईव) दिल्ली के महानिदेशक अरूण सिंघल ने विशेष बातचीत में कही। सीनियर आईएएस सिंघल रविवार को बीकानेर पहुंचे। वे यहां सोमवार से शुरू हो रहे नेशनल कमेटी ऑफ आरकाइव के 46वें राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने आए हैं। राजस्थान में करीब 45 साल बाद आरकाईव का राष्ट्रीय अधिवेशन हो रहा है। इसमें 19 से ज्यादा राज्यों के आरकाईव निदेशक और प्रतिनिधि शामिल होने बीकानेर आए हैं।
अधिवेशन में आरकाईव को आ रही समस्याएं, नवाचार, राजस्थान आरकाईव के डिजिटलाइजेशन जैसे अच्छे कार्यों की जानकारी साझा करना उद्देश्य रहता है। अधिवेशन में कुछ प्रस्ताव भी पारित किए जाते हैं। नेशनल आरकाईव के देशभर के एतिहासिक दस्तावेजों को एक जगह पर लाने की दिशा में क्या काम कर रहा है? सभी राज्यों के अपने-अपने आरकाईव है। राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल आरकाईव है। अभी डिजिटलाइजेशन करने पर इसी लिए जोर दिया जा रहा है। ताकि सभी राज्यों के डिजिटल संस्करणों को नेशनल आरकाईव के पोर्टल से जोड़ा जा सके। ऐसा करने से उदाहरण के तौर पर कोई सुभाष चन्द्र को सर्च करेगा, तो देशभर में उनसे जुड़े ऐतिहासिक दस्तावेज सामने आ जाएंगे। सरकारी विभागों में डिजिटल फोर्मेट तेजी से अपना रहे हैं, इसके लिए आरकाईव आगे क्या करेंगे? नेशनल आरकाईव में करीब 34 करोड़ पेज के डोक्यूमेंट हैं। इनमें से साढ़े चार करोड़ डोक्यूमेंट डिजिटल कर दिए हैं। सरकारी विभाग परमानेंट नेचर के डोक्यूमेंट 25 साल बाद अभिलेखागार के पास संरक्षित करने के लिए भेज देते हैं। अब सरकारी विभागों में दस्तावेज की हार्ड कॉपी की जगह डिजिटल कॉपी भी काम में ली जाने लगी है। ऐसे डिजिटल डोक्यूमेंट को दस साल बाद ही नेशनल और स्टेट आरकाईव अपने सर्वर पर ले लेंगे।