कोरोना के चलते सभी स्कूल-कॉलेज बंद, ओडिशा के गांव में मूक-बधिर युवती अपने जैसे बच्चों को दे रही शिक्षा

ओडिशा के गंजम जिले में मूक बधिर 20 वर्षीय युवती कोरोना वायरस महामारी के कारण स्कूल बंद होने के बाद अपने जैसे ही कुछ छात्रों को सांकेतिक भाषा के जरिए पढ़ा रही है.

Update: 2021-07-30 09:56 GMT

ओडिशा के गंजम जिले में मूक बधिर 20 वर्षीय युवती कोरोना वायरस महामारी के कारण स्कूल बंद होने के बाद अपने जैसे ही कुछ छात्रों को सांकेतिक भाषा के जरिए पढ़ा रही है. भुवनेश्वर में एक कॉलेज की तीसरे वर्ष की छात्रा रिंकी गौड़ा आजकल लांजिया गांव में अपने घर में ही रह रही है, क्योंकि कोविड-19 स्थिति के कारण उसका कॉलेज बंद हो गया है. भुवनेश्वर से करीब 173 किलोमीटर दूर लांजिया गांव में कम से कम चार और मूक एवं बधिर छात्र हैं, जो सातवीं से नौवीं कक्षा में पढ़ते हैं और अपने घरों पर हैं. पिछले साल महामारी की पहली लहर के बाद से ही उनके स्कूल बंद हैं.

ऐसे वक्त में अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान सांकेतिक भाषा सीखने वाली गौड़ा अपने घर पर उन्हें पढ़ाने के लिए आगे आयी. हर दिन वह चार छात्रों के लिए दो घंटे की कक्षा देती है. इसके अलावा वह पिछले एक साल से खुद ऑनलाइन कक्षा ले रही है. उसके पिता निरंजन गौड़ा ने कहा, ''हम बहुत खुश हैं कि मेरी बेटी दूसरे छात्रों को पढ़ा रही है, जो मूक एवं बधिर हैं.'' निरंजन गौड़ा मजदूर हैं. छात्रों को अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के अलावा रिंकी के माता-पिता उन्हें आए दिन अपने घर पर भोजन भी कराते हैं.
एनजीओ भी आया रिंकी के साथ
बरहमपुर के एक गैर सरकारी संगठन 'सिटिजन्स एसोसिएशन फॉर रूरल डेवलेपमेंट' ने इन छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए शिक्षण सामग्री उपलब्ध करायी है. एनजीओ के अध्यक्ष सुरेश साहू ने कहा, ''हमारे सामुदायिक कार्यकर्ता हर हफ्ते छात्रों की पढ़ाई का निरीक्षण करने के लिए गांव का दौरा करते हैं.'' उन्होंने बताया कि इससे पहले संगठन ने रिंकी को स्कूल तथा कॉलेज में पढ़ाई करने के लिए सहयोग दिया था.
बच्चों के पास शिक्षा की व्यवस्था नहीं
साहू ने कहा, ''हम रिंकी तथा उसके माता-पिता का अपने गांव के दिव्यांग बच्चों की मदद के वास्ते आगे आने के लिए आभार जताते हैं.'' इन बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को लेकर बहुत चिंतित थे, क्योंकि उनके पास मूक एवं बधिर बच्चों की जरूरत के अनुकूल शिक्षा की व्यवस्था नहीं है. इनमें से ज्यादातर बच्चों के माता-पिता मजदूर और किसान हैं.


Tags:    

Similar News

-->