नई दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के राष्ट्रीय अधिवेशन की मीटिंग में 11 सितंबर को हंगामा हुआ था. नई दिल्ली में हुए अधिवेशन में पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के सामने पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार की नाराजगी देखने को मिली थी. दरअसल, अजित को जब मंच पर संबोधन के लिए बुलाया गया तो वे उठकर चले गए और वापस नहीं लौटे थे. इस मामले में आज अजित पवार प्रेस कॉन्फ्रेंस की. हालांकि अधिवेशन के दौरान हुए घटनाक्रम के बाद ये सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या अजित पवार एनसीपी में खुश हैं.
सोमवार को PC में अजित पवार ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जयंत पाटिल ने रविवार को राष्ट्रीय अधिवेशन में भाषण दिया. प्रोटोकॉल के अनुसार उनका कार्यक्रम तय था. लेकिन समय की कमी के कारण मैं बोल नहीं पाया. न ही मेरे संबोधन का कार्यक्रम था. हालांकि हमेशा की तरह मीडिया ने मेरे असंतुष्ट होने को लेकर कुछ खबरें चलाईं. कहा गया कि मैं नाराज हूं. जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. अजित पवार ने कहा कि क्या मैं वॉशरूम के लिए भी बाहर नहीं जा सकता?
अजित पवार ने कहा कि कई नेता समय की कमी के कारण नहीं बोल पाए थे, लेकिन इसका क्या ये मतलब है कि हर कोई असंतुष्ट है या नाराज है. अजित ने कहा कि मैं मीडिया से अपील करता हूं कि तथ्यों के आधार पर खबरें चलाएं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अजित पवार ने शिवसेना बनाम शिवसेना की लड़ाई पर कहा कि महाराष्ट्र अब बिहार बन गया है. कोई भी विधायक दिन के उजाले में आग लगा रहा है. हालांकि मेरा किसी भी राज्य को बदनाम करने का इरादा नहीं है, लेकिन मैं सिर्फ तुलना कर रहा हूं. इसके साथ ही उन्होंने एकनाथ शिंदे सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है? गृह मंत्री क्या कर रहे हैं? ऐसा लगता है कि सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों में कोई गंभीरता नहीं है. राज्य में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.
NCP की बैठक के समापन पर अजित पवार का भाषण होना था. हालांकि वक्ताओं की सूची में पहले अजित का नाम नहीं था. बैठक में सुप्रिया सुले, अमोल कोल्हे और प्रफुल्ल पटेल का भाषण हुआ. बाद में वक्ताओं की सूची में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल का नाम जोड़ा गया. साथ ही अजित पवार का नाम भी इस लिस्ट में शामिल किया गया. जब जयंत पाटिल का नाम भाषण के लिए पुकारा गया तो पार्टी के कई नेताओं ने मांग की कि अजित पवार को भी भाषण देना चाहिए. इसके बाद प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि जयंत के बाद अजित पवार का भाषण होगा. लेकिन जयंत का भाषण शुरू होने के बाद अजित मंच से उठकर बाहर चले गए थे. प्रफुल्ल पटेल ने उनके नाम की घोषणा की तब सामने आया कि अजित मंच पर नहीं हैं. बाद में सुप्रिया सुले बाहर गईं और अजित को वापस मंच पर लेकर आईं.
हालांकि पार्टी अंदरखाने कह रही है कि ये कोई बड़ा मामला नहीं है. क्योंकि अजित ने पहले ही कह दिया था कि वह हिंदी में भाषण नहीं देंगे. लेकिन पार्टी ने बाद में तय किया कि जयंत पाटिल और अजित पवार का भाषण होना जरूरी है. लेकिन जयंत के नाम की घोषणा होने के बाद अजित के समर्थकों ने उनके भाषण की मांग की.
हालांकि ये कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी अजित पवार का ऐसा व्यवहार सामने आ चुका है. करीब 2007 में जब अजित को डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया था तो वह गायब हो गए थे. दोबारा मीटिंग कर उन्हें मनाया गया. इसी तरह 2019 में भी अजित पवार का मानना था कि बीजेपी के साथ सरकार बनानी चाहिए. न कि शिवसेना और कांग्रेस के साथ. उस दौरान अजित पवार मीटिंग से उठकर चले गए थे. जाते वक्त उन्होंने ये कहा था कि वह अपने गांव जा रहे हैं. उसके दो दिन बाद उन्होंने देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथ ली थी. ऐसे में रविवार को एनसीपी की बैठक में अजित पवार के रवैयै के बाद ये कहा जा रहा है कि अजित पार्टी पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश में हैं. हालांकि पार्टी में शरद पवार ही मुख्य भूमिका में हैं.