AIIMS निदेशक रणदीप गुलेरिया का बड़ा बयान- कोरोना संक्रमितों के फेफड़े हो रहे कमजोर..स्वस्थ हो चुके 80 फीसदी मरीजों को है ये दिक्कत

Update: 2020-10-07 13:18 GMT

नई दिल्ली: दुनिया भर में कोरोना वायरस के कहर के बीच लगातार नये नये तथ्य सामने आ रहे हैं. कई देशों में वैक्सीन पर काम चल रहा है. भारत में भी तेजी से कोरोना की वैक्सीन बनाने पर वैज्ञानिक जुटे हुए हैं. इस बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बड़ी बात कही है. डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना वायरस (Corona virus) से ज्यादातर लोगों को हल्का संक्रमण होता है. इसके बावजूद कोविड 19 को हल्के में लेने की गलती न करें, क्योंकि कोरोना से ठीक होने के बाद भी 60 से 80 फीसद मरीजों में कुछ न कुछ परेशानी देखी जा रही है. उन्होंने बताया कि यह परेशानी शरीर दर्द जैसी हल्की भी हो सकती है, लेकिन चिंता की बात यह है कि कुछ मरीजों में फेफड़े व दिल से संबंधित गंभीर परेशानी सामने आ रही है.

एम्स के डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना संक्रमण को मात देने वाले अधिकतर मरीजों में देखा गया है कि उनके फेफडों पर बहुत बुरा असर पड़ा है. ठीक हो जाने के बावजूद ऐसे संक्रमितों द्वारा फेफडों की शिकायत की जा रही है. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि हाल ही में चेन्नई में कोरोना से ठीक हुए एक मरीज को फेफड़ा प्रत्यारोपित भी किया गया है. AIIMS में अब तक फेफड़ा प्रत्यारोपण नहीं हुआ है, लेकिन संस्थान ने यह सुविधा विकसित कर ली है. एम्स के पास इसका लाइसेंस भी है.

एम्स के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कोरोना के कारण कई मरीज स्ट्रोक के शिकार हुए हैं. ठीक होने के बाद भी उनके जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हुई है. पिछले दिनों एम्स के डॉक्टरों ने बताया था कि कोरोना के कारण स्ट्रोक से पीड़ित 31 मरीज देखे जा चुके हैं.



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