नई दिल्ली (आईएएनएस)| ऊर्जा मंत्रालय और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) संयुक्त रूप से हिमस्खलन, भूस्खलन, ग्लेशियर, हिमनदी झीलों और अन्य भू-खतरों के खिलाफ उपयुक्त शमन उपाय विकसित करने की दिशा में काम करेंगे। डीआरडीओ की विशेषज्ञता का उपयोग पहाड़ी क्षेत्रों में कमजोर पनबिजली परियोजनाओं और बिजली स्टेशनों के लिए एक व्यापक पूर्व चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस) विकसित करने में भी किया जाएगा। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए मंत्रालय और डीआरडीओं ने मंगलवार को कमजोर जलविद्युत परियोजनाओं और बिजली स्टेशनों के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
मंत्रालय ने पनबिजली परियोजनाओं, विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों के ऊपरी इलाकों में स्थित परियोजनाओं में ईडब्ल्यूएस के कार्यान्वयन की शुरुआत की है।
ईडब्ल्यूएस खतरनाक घटनाओं से पहले आपदा जोखिम को कम करने के लिए समय पर कार्रवाई के लिए खतरों की निगरानी, पूवार्नुमान और भविष्यवाणी, आपदा जोखिम मूल्यांकन, संचार और तैयारी की एक एकीकृत प्रणाली है।
समझौते पर ऊर्जा सचिव आलोक कुमार और डीआरडीओ प्रमुख और रक्षा विभाग (आरएंडडी) के सचिव समीर कामत ने हस्ताक्षर किए।