अग्निपथ योजना, रक्षा मंत्रालय का आया ये बयान
आरटीआई को जवाब देते हुए कहा है कि अग्निपथ योजना के बारे में सूचना को साझा नहीं किया जा सकता है।
नई दिल्ली: अग्निपथ योजना पर देशभर में काफी बवाल मचा था और इसके विरोध में लोग सड़कों पर भी उतर आए थे। हालांकि इसके बावजूद भी केंद्र सरकार अपने निर्णय पर अडिग रही और इसकी भर्तियां निकलना शुरू हो गईं। इसी बीच रक्षा मंत्रालय ने एक आरटीआई को जवाब देते हुए कहा है कि अग्निपथ योजना के बारे में सूचना को साझा नहीं किया जा सकता है। यह भी कहा गया है कि यह स्कीम एक प्रकार का सीक्रेट है।
दरअसल, पुणे स्थित आरटीआई कार्यकर्ता विहार दुर्वे द्वारा फाइल की गई आरटीआई के आधार पर मांगी गई जानकारी के जवाब में रक्षा मंत्रालय का यह जवाब सामने आया है। इसमें यह बताया गया कि अस्वीकार करने का कारण पारदर्शिता कानून की धारा 8 और 9 के तहत नहीं आता है। इस वजह से सूचना से इनकार किया जा सकता है।
आरटीआई कार्यकर्ता ने अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श और मौजूदा भर्ती योजना को बदलने के लिए इसे शुरू करने के कारणों के बारे में जानकारी मांगी थी। इसमें रोजगार की अवधि के बारे में भी सवाल थे। 23 जुलाई, 2022 को अपने आरटीआई आवेदन में दुर्वे ने योजना के तहत भर्ती के लिए वेतन पैकेज और भत्तों के बारे में चर्चा के बारे में पूछा था।
सैन्य मामलों के विभाग के सूचना अधिकारी ने योजना के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया। दुर्वे ने कहा कि उन्होंने रक्षा मंत्रालय में प्रथम अपीलीय प्राधिकारी अभिमन्यु साहू के समक्ष सूचना से इनकार के खिलाफ अपील दायर की। 17 अगस्त को दायर पहली अपील का जवाब देते हुए साहू ने कहा कि इसे सही तरीके से खारिज किया गया है।
बता दें कि 14 जुलाई 2022 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सैन्य भर्ती योजना अग्निपथ की शुरुआत की घोषणा की थी। इसमें दिसंबर 2022 और फरवरी 2023 में 46,000 कर्मियों को काम पर रखा जाएगा। एक चौथाई अग्निवीर जिन्हें पहले वर्ष में 30,000 मासिक वेतन मिलेगा और चौथे वर्ष में 40,000 का वेतन मिलेगा, उन्हें सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन के लिए चुना जाएगा।
इसके बाद चार साल के अनुबंध के अंत में अग्निवीर को 11 लाख का एक कोष मिलेगा, जो सरकार ने कहा कि इससे उन्हें स्वरोजगार के रास्ते बनाने या उच्च शिक्षा हासिल करने में मदद मिलेगी। केंद्रीय अर्ध-सैन्य बलों और असम राइफल्स ने अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत नौकरी के अवसरों का आश्वासन दिया है। इसके अलावा कई राज्यों ने भी तमाम प्रकार की छूट देने का ऐलान किया है।