सहायक अध्यापक की मौत के बाद दूसरी पत्नी पेंशन के लिए पहुंची हाईकोर्ट, याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि गुजारा भत्ते पर समझौता होने से यह नहीं कहा जा सकता कि पत्नी ने पति की मृत्यु के बाद सेवानिवृत्ति परिलाभ का दावा छोड़ दिया है। कोर्ट ने कहा कि पति से अलग रहने के बावजूद सेवापंजिका में वह नामित है और दोनों के बीच तलाक …

Update: 2024-01-11 19:52 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि गुजारा भत्ते पर समझौता होने से यह नहीं कहा जा सकता कि पत्नी ने पति की मृत्यु के बाद सेवानिवृत्ति परिलाभ का दावा छोड़ दिया है। कोर्ट ने कहा कि पति से अलग रहने के बावजूद सेवापंजिका में वह नामित है और दोनों के बीच तलाक न होने के कारण वह पत्नी है। कानूनन मृतक कर्मचारी के सेवा परिलाभ उसके वारिस को पाने का हक है। इसलिए पत्नी ही पति की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंशन आदि की हकदार है। कोर्ट ने स्वयं को पत्नी की तरह साथ रहने वाली महिला को राहत देने से इनकार करते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने रजनीरानी की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि उसके पति भोजराज 30 जून 2021 को सेवानिवृत्त हुए और उसी वर्ष दो अक्टूबर को उनकी मृत्यु हो गई। वह महाराजा तेज सिंह जूनियर हाईस्कूल औरंध सुल्तानगंज मैनपुरी में सहायक अध्यापक थे। याची का कहना था कि भोजराज की पहली पत्नी बहुत पहले घर छोड़कर चली गई थी। वह लंबे समय से पत्नी के तौर पर उनके साथ रहती थी। पहली पत्नी ने गुजारा भत्ते का दावा भी किया था। बाद में समझौता हो गया। उसके बाद गुजारे का कोई दावा नहीं किया। इस प्रकार उसने पति के सेवानिवृति परिलाभ पर अपना दावा छोड़ दिया था।

कोर्ट ने इस तर्क को सही नहीं माना और कहा कि पत्नी को पति के सेवानिवृति परिलाभ पाने का अधिकार है। याची को लाभ देने से इनकार करने का आदेश सही है और याचिका खारिज कर दी।

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