भारत के बाद नेपाल ने भी शुरू किया राष्ट्रव्यापी बाल विवाह मुक्त अभियान

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Update: 2025-01-06 17:42 GMT
New Delhi. नई दिल्ली। पिछले साल नवंबर में भारत द्वारा 'बाल विवाह मुक्त भारत' अभियान शुरू करने के बाद, नेपाल ने बाल विवाह को समाप्त करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करके दक्षिण एशिया क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। नेपाल सरकार द्वारा शुरू किया गया 'बाल विवाह मुक्त नेपाल' अभियान में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) और बैकवर्ड एजुकेशन सोसायटी (बेस) नेपाल रणनीतिक भागीदार हैं। इस अभियान का उद्घाटन काठमांडू में एक कार्यक्रम में किया गया जहां महिला, बाल एवं वरिष्ठ नागरिक मंत्रालय के मंत्री नवल किशोर साह सुदी, नेपाल के लुंबिनी प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री और बेस संस्था के संस्थापक दिल्ली बहादुर चौधरी, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक और जानेमाने बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन ऋभु भी मौजूद थे, जो ‘बाल विवाह मुक्त विश्व’ के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके अलावा कार्यक्रम में नेपाल के सभी सातों प्रांतों के मंत्रालयों के मंत्री शामिल हुए और इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए राष्ट्र की एकजुटता और प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
बाल विवाह के खात्मे के लिए भारत की रणनीतियों पर अमल करते हुए बाल विवाह मुक्त नेपाल अभियान उन जिलों और समुदायों पर ध्यान केंद्रित करेगा जहां बाल विवाह के चलन की दर ज्यादा है। इसके लिए बाल विवाह के खिलाफ नेपाल के कानूनों के बारे में युवाओं और समुदायों में जागरूकता का प्रसार किया जाएगा। अभियान के दौरान पूरे देश में लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसमें सरकारी कर्मचारियों, वकीलों, नागरिक समुदाय के सदस्यों, धार्मिक नेताओं और बच्चों जैसे सभी हितधारकों को साथ लिया जाएगा ताकि देश से 2030 तक बाल विवाह का खात्मा किया जा सके। भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 27 नवंबर 2024 को नई दिल्ली में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की थी जिसका लक्ष्य 25 करोड़ लोगों तक पहुंचना है। देश के 416 जिलों में बाल विवाह के खात्मे के लिए अभियान चला रहे 250 गैर सरकारी संगठनों के नेटवर्क ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ ने अकेले ही 2,50,000 बाल विवाह रुकवाए हैं। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के जमीनी हस्तक्षेपों और जनहित याचिकाओं के नतीजे में 2024 में बच्चों की सुरक्षा के लिए कई ऐतिहासिक फैसले आए जिससे यह देश में बाल अधिकारों की रक्षा के पर्यायवाची के रूप में उभरा है।
बच्चों के प्रति इस सबसे घृणित अपराध के खिलाफ वैश्विक समुदाय की प्रतिबद्धता और इसकी तात्कालिकता को रेखांकित करते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक और प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन ऋभु ने कहा, “आज का दिन हर मायने में हमारे लिए ऐतिहासिक है। ‘बाल विवाह मुक्त विश्व’ के सपने के साथ शुरू हुआ यह सफर बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में तमाम देशों और सरकारों के शामिल होने से धीरे-धीरे वास्तविकता में बदलने लगा है।” ऋभु ने कहा, “ बाल विवाह मानवाधिकारों के हनन का सबसे वीभत्स स्वरूप है और भारत दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ इसके खिलाफ लड़ाई की मोर्चे से अगुआई कर रहा है। अब नेपाल सरकार के बाल विवाह मुक्त नेपाल अभियान शुरू करने से इसके खात्मे की लड़ाई में हमारी सामूहिक शक्ति में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। यह सिर्फ एक मील का पत्थर ही नहीं बल्कि बच्चों की गरिमा, स्वतंत्रता, स्वास्थ्य, शिक्षा और हर बच्चे को सुरक्षा देने के वादे को दोहराने का दिन है। आज एक नए युग की शुरुआत है।”
बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई को वैश्विक विस्तार देते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन ने 2 दिसंबर 2024 से 8 दिसंबर 2024 के बीच बाल विवाह के खिलाफ वैश्विक शपथ सप्ताह मनाया। इस दौरान भारत व नेपाल सहित एशिया, अफ्रीका व अमेरिका के 39 देशों ने इसमें शिरकत की। बाल विवाह के खिलाफ इस जंग को मिला अप्रत्याशित और अभूतपूर्व वैश्विक समर्थन इस वास्तविकता को रेखांकित करता है कि बाल विवाह मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबसे भयावह स्वरूप है और इसके खात्मे के लिए सामूहिक कार्रवाइयों की आवश्यकता है। बाल विवाह मुक्त नेपाल अभियान इस हिमालयी देश से इस बुराई के खात्मे की दिशा में एक बेहद
अहम
और जरूरी कदम है क्योंकि बाल विवाह की दर के मामले में नेपाल दक्षिण एशिया में दूसरे स्थान पर है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार नेपाल में 20 से 24 आयु वर्ग की 35 प्रतिशत लड़कियों का विवाह उनके 18 साल की होने से पहले ही हो जाता है। हालांकि नेपाल में लड़के और लड़कियों के लिए विवाह की कानूनी उम्र 20 साल है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि देश की 54 लाख लड़कियों में 15 लाख का विवाह उनके 15 साल की होने से पहले ही हो गया था। ये आंकड़े भयावह हैं लेकिन माना जा रहा है कि नेपाल सरकार की इस पहल से बाल विवाहों पर तेजी से रोक लगेगी।
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