राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द और सीएम शिवराज सिंह चौहान ने की मां नर्मदा की आरती

राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द और मध्य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार को जबलपुर में नर्मदा नदी

Update: 2021-03-06 15:33 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: जबलपुर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द और मध्य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार को जबलपुर में नर्मदा नदी के ग्वारीघाट पर मां नर्मदा की आरती में शामिल हुए। इस मौके पर मध्‍य प्रदेश की राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल भी उपस्थित रहीं। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ऑल इंडिया स्टेट ज्यूडिशियल एकेडमीज डायरेक्टर्स रिट्रीट कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में राष्‍ट्रपति ने कहा कि शिक्षा, संगीत एवं कला को संरक्षण और सम्मान देने वाले जबलपुर को आचार्य विनोबा भावे ने 'संस्‍कारधानी' कहकर सम्मान दिया। साल 1956 में स्थापित मध्‍य प्रदेश उच्‍च न्‍यायालय की मुख्य न्यायपीठ ने जबलपुर को विशेष पहचान दी।



स्थानीय भाषाओं में फैसले उपलब्‍ध कराएं अदालते
कार्यक्रम में भारत के प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक खान सहित सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के न्यायाधीश मौजूद थे। राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि भाषायी सीमाओं के कारण, वादियों-प्रतिवादियों को अपने ही मामले में चल रही कार्यवाही तथा सुनाए गए निर्णय को समझने के लिए संघर्ष करना होता है। इसलिए देश के सभी हाई कोर्ट अहम फैसलों का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद सुनिश्चित कराना चाहिए।
न्याय प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब पर लगे रोक
राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि मेरे सुझाव पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णयों का अनुवाद नौ भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराया है। कुछ हाई कोर्ट भी स्थानीय भाषा में निर्णयों का अनुवाद कराने लगे हैं। यही नहीं न्याय व्यवस्था में वादी-प्रतिवादी पक्ष की ओर से न्याय प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब कराए जाने के रवैये पर ठोस अंकुश की दिशा में भी प्रयास किया जाएंं। राष्ट्रपति शनिवार को मध्य प्रदेश के जबलपुर में आल इंडिया स्टेट ज्यूडिशियल अकादमी डायरेक्टर्स रिट्रीट के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मुकदमे को लंबा खींचना अनुचित
राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय व्यवस्था का उद्देश्य केवल विवादों को सुलझाना नहीं, बल्कि न्याय की रक्षा करना होता है और न्याय की रक्षा का एक उपाय, न्याय में होने वाले विलंब को दूर करना भी है। ऐसा नहीं है कि न्याय में विलंब केवल न्यायालय की कार्य-प्रणाली या व्यवस्था की कमी से ही होता हो। वादी और प्रतिवादी, एक रणनीति के रूप में, बारंबार स्थगन का सहारा लेकर, कानूनी प्रक्रियाओं में मौजूद कमियों के आधार पर मुकदमे को लंबा खींचते रहते हैं, यह अनुचित है।
निर्णय देने में विवेक का भी सहारा लें
राष्ट्रपति ने बृहस्पति-स्मृति के श्लोक का उल्लेख करते हुए कहा कि कानून की किताबों के अध्ययन मात्र के आधार पर निर्णय देना उचित नहीं होता। इसके लिए युक्ति का, विवेक का सहारा लिया जाना चाहिए। न्याय के आसन पर बैठने वाले व्यक्ति में समय के अनुसार परिवर्तन को स्वीकार करने, परस्पर विरोधी विचारों या सिद्धांतों में संतुलन स्थापित करने और मानवीय मूल्यों की रक्षा करने की समावेशी भावना होनी चाहिए।
न्याय अनोखी प्रक्रिया : सीजेआइ
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि न्याय एक अनोखी प्रक्रिया है। एक न्यायाधीश बनने के लिए सिर्फ विधिक ज्ञान काफी नहीं है, इसके साथ समुचित प्रशिक्षण भी आवश्यक है। कार्यक्रम को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक खान ने भी संबोधित किया।




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