आप नेता ने अपने निलंबन को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा

Update: 2023-08-12 05:21 GMT

आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा ने एक वीडियो संदेश में खुद को 'निलंबित' राज्यसभा सदस्य बताया और उन्हें उच्च सदन से बाहर करने के लिए केंद्र सरकार पर कई सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि क्या उनके निलंबन का कारण अन्य प्रासंगिक मामलों के अलावा 'संसद के अंदर दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के नेताओं से पूछताछ करना' था। उन्होंने कहा कि मुझे निलंबित क्यों किया गया? मेरा अपराध क्या था? क्या मुझे निलंबित कर दिया गया क्योंकि मैंने सबसे बड़ी पार्टी यानी भाजपा के नेताओं से सवाल पूछा था? या मेरा गुनाह ये था कि मैंने दिल्ली सर्विसेज़ बिल पर अपनी बात रखी और बीजेपी से न्याय मांगा। उन्होंने अपने वीडियो को साझा करते हुए कहा कि 'नमस्कार! मैं सस्पेंडेड सांसद राघव चड्ढा।

राघव चड्ढा और संजय सिंह का बयान

अपने बयान में आम आदमी पार्टी के सांसद ने कहा कि इस सप्ताह मुझे विशेषाधिकार समिति से दो नोटिस मिले। विपक्ष को संसद में बोलने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि भाजपा मुझ पर फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगा रही है लेकिन सच्चाई यह है कि कोई भी सांसद किसी भी समिति के गठन के लिए नाम प्रस्तावित कर सकता है और जिस व्यक्ति का नाम प्रस्तावित है उसके हस्ताक्षर या लिखित सहमति की आवश्यकता नहीं है। वहीं, AAP सांसद संजय सिंह ने अपने और राघव चड्ढा के निलंबन पर कहा कि उनकी (पीएम मोदी) मंशा मणिपुर में हिंसा के बजाय संजय सिंह को रोकने की है। वे विपक्ष की आवाज को दबाना चाहते हैं।' राहुल गांधी ने कहा संसद ने उन्हें निलंबित कर दिया था, उसी तरह राघव चड्ढा, डेरेक ओ'ब्रायन और अधीर रंजन चौधरी को निलंबित कर दिया गया था। हम इन सब से डरते नहीं हैं और लड़ते रहेंगे। राघव चड्ढा का निलंबन निराधार था।

आज क्या हुआ

संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य राघव चड्ढा को नियमों के घोर उल्लंघन और अवमाननापूर्ण आचरण के चलते विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही, अशोभनीय आचरण तथा नियमों के उल्लंघन के आरोप में निलंबित किए गए आप सदस्य संजय सिंह के निलंबन की अवधि भी विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक बढ़ा दी गई। उच्च सदन में आम आदमी पार्टी के 10 सदस्य हैं। मानसून सत्र के अंतिम दिन, शुक्रवार को सदन के नेता सदन पीयूष गोयल ने राघव चड्ढा द्वारा नियमों का उल्लंघन करने तथा सदन की एक समिति के लिए चार सदस्यों का नाम उनकी सहमति लिए बिना प्रस्तावित करने का मुद्दा उठाया। 

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