आधार ने असम में एक दिव्यांग महिला को उसके परिवार से मिलाया। कई हफ्तों से महिला के बारे में उसके परिवार को पता नहीं चल रहा था। महिला इलेक्ट्रानिक्स और आइटी मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि मूक बधिर महिला पुलिस को कामरूप जिले के सोनापुर मार्केट में भटकती हुई मिली थी। पुलिस ने उसे गैर सरकारी संगठन सखी वन स्टाप सेंटर में भेजा।
काउंसलिंग के समय आधार कार्ड की ओर किया इशारा
जब काउंसलिंग की गई उसने आधार कार्ड की ओर इशारा किया। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क किया गया, तो उसने सलाह दी कि महिला आधार नामांकन के लिए फिंगरप्रिंट बायोमेट्रिक्स जमा कर सकती है। इसे उसके मौजूदा आधार बायोमेट्रिक्स का मिलान किया जा सकता है और उसके आधार विवरण से, उसके घर का पता लगाया जा सकता है। इसके बाद महिला को इस महीने सोनितपुर जिले में उसके घर पहुंचा दिया गया।
अपनों से मिलाने का काम कर रहा आधार
मालूम हो कि आधार नामांकन न केवल जीवन को आसान बनाने और बेहतर सेवा वितरण में मदद करता है, बल्कि अपने परिवारों से अलग हुए लोगों को फिर से जुड़ने में भी मददगार साबित हो रहा है। यूआईडीएआई हमेशा प्रोत्साहित करता रहा है कि बच्चों को जल्द से जल्द नामांकित किया जाए और उनके बायोमेट्रिक्स को पांच वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद नामांकित किया जाए। एवं 15 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर अपडेट किया जाए।