नदियों के संरक्षण पर विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ

Update: 2023-09-30 13:10 GMT
औरैया। एक विचित्र पहल सेवा समिति ने शनिवार को यमुना तट पर स्थित राम झरोखा पर विश्व नदी दिवस के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए समिति के संस्थापक आनन्द नाथ गुप्ता एडवोकेट ने बताया कि समूचे विश्व में लगभग डेढ़ लाख प्रमुख नदियां हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने जल संसाधनों विशेष रुप से नदियों के संरक्षण व उनकी साफ-सफाई हेतु जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2005 में जीवन के जल दशक की शुरुआत की थी। तब से यह दिवस प्रति वर्ष सितंबर माह के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। विश्व नदी दिवस विश्व के जल मार्गों का उत्सव है हमारी भारतीय संस्कृति हमें नदियों सहित प्रकृति की पूजा व सुरक्षा करना सिखाती है। गोष्ठी को संबोधित करते हुए मनीष पुरवार ने बताया कि प्रकृति ने हमारे देश को गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां दी हैं जो कि करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है, यदि हम धार्मिक रूप से वास्तव में उनका सम्मान करते हैं, तो हम सब उनको गंदा न करने का संकल्प लें।
देवेंद्र आर्य ने कहा कि गणेश चतुर्थी व दुर्गा पूजा जैसे बड़े त्योहारों में बृहद स्तर पर मूर्तियों का विसर्जन नदियों में किया जाता है जिससे नदियां निरंतर प्रदूषित हो रही है। तमाम जलीय प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं जबकि जलीय जीवों के लिए भी संकट बढ़ता जा रहा है। मूर्तियों के निर्माण में प्लास्टर ऑफ पैरिस जैसे विभिन्न प्रकार के पाउडर व केमिकल्स का उपयोग किया जाता है, जो स्वास्थ्य व प्रकृति दोनों के लिए काफी हानिकारक है। योग प्रशिक्षक डॉ. मिथुन मिश्रा ने बताया कि विभिन्न शहरों में नदियों का पानी फिल्टर करने के बाद पीने हेतु उपयोग किया जाता है। पूरी दुनिया में हर देश की नदियां खतरे की एक श्रृंखला का सामना कर रही हैं। हमारी सार्वजनिक जागरूकता व सक्रिय भागीदारी ही आगे आने वाले वर्षों में नदियों की साफ-सफाई व जल संरक्षण की सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करेगी। गोष्ठी के अंत में उपस्थित लोगों ने अपनी धार्मिक आस्था के साथ-साथ नदियों की साफ सफाई व उसको गंदा न करने हेतु सामूहिक रूप से शपथ ली।
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