मध्य प्रदेश के इंदौर की सड़कों पर भीख मांगने का नया तरीका सामने आया है. 25 साल का युवक दिव्यांग बनकर एलआईजी चौराहे पर भीख मांग रहा था. उसे देख ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने सोचा कि इसका नकली हाथ बनवाकर ठीक करवा देंगे, लेकिन जैसे ही उसने हाथ देखना चाहा, तो युवक ने झपट्टा मारा और भाग निकला. सिपाही ने पीछा कर उसे पकड़ा, तो उसकी पोल खुल खुल गई. वह एक हाथ से भीख मांग रहा था, लेकिन पोल खुलते ही सिपाही के सामने दोनों हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और माफी मांगने लगा.
मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में शुक्रवार को एक ऐसे ही भिखारी गिरोह का पर्दाफाश लाइव ऑपरेशन के जरिये हुआ, जिसे देखने के बाद लोग वास्तव में असहाय लोगों की मदद करना भी बंद कर सकते हैं. ये गिरोह बच्चों के साथ अलग-अलग चौराहों और सिग्नल्स पर सक्रिय रहता है. ये अपनी नकली दिव्यांगता का हवाला देकर रुपये ऐंठते थे.
इंदौर के एलआईजी चौराहा पर इस गैंग का 25 साल का युवा सदस्य दिव्यांग बनकर भीख मांग रहा था. उसे देख चौराहे पर खड़े ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने सोचा कि उसकी मदद की जाए और उसके टूटे हाथ की बजाय उसका नकली हाथ बनवाकर उसकी सहायता की जाए. जैसे ही यातायात विभाग के पुलिसकर्मी ने उसके हाथ की पीड़ा को देखना चाहा, तो युवक ने झपट्टा मारा और भाग निकला.
सिपाही ने पीछा कर उसे पकड़ा तो उसकी पोल खुल खुल गई. उस भिखारी के दोनों हाथ सही-सलामत थे और उसने भीख मांगने के लिए कुर्ते में एक हाथ इस तरह छिपाया था कि देखने वालों को लगे कि वह दिव्यांग है.
कटे हाथ का स्ट्रक्चर तैयार रखने वाले भिखारी ने कबूला कि इसी तरह से उसकी गैंग को ट्रेस कर दिल्ली पुलिस ने उन्हें वहां से भगाया था, जिसके बाद उनका गिरोह इंदौर सहित प्रदेश के अन्य शहरों में सक्रिय हो गया.
इस गिरोह के सदस्य को पकड़ने वाले ट्रैफिककर्मी सुमंत सिंह ने जब उसका कुर्ता खोला, तो पता चला कि वह दिव्यांग नहीं है. उसने ये भी बताया कि किस तरह वह कुर्ते में अपना हाथ छिपाता था, जिससे उसकी सच्चाई किसी को भी पता नहीं चल सके.
पुलिस उसे पकड़कर थाने ले आई, जहां उसने बताया कि उनके साथ दूसरी गैंग भी पैरलल चलती है, जो एक्सीडेंट का झूठ बोलकर कार वालों के पर्स और मोबाइल छीन ले जाते हैं.