सवाई माधोपुर। सवाईमाधोपुर रणथम्भौर में बाघों का कुनबा बढ़ने के लिए वन विभाग की ओर से लगातार अधिकारियों की पीठ थपथपाई जा रही है, लेकिन रणथम्भौर में बाघों की मौत के आंकड़े कुछ और ही कहानी कह रहे हैं। पिछले 28 माह में रणथम्भौर में 7 शावकों की मौत हो चुकी है। वहीं दो शावक लापता हैं। ऐसे में बाघों की मौत के आंकड़े वन विभाग के मॉनिटरिंग, ट्रेकिंग पर सवाल खड़े कर रहे हैं। हालांकि इस मामले पर अब तक स्थानीय व वन विभाग के उच्चाधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं। जब-जब रणथम्भौर में बाघ बाघिन या फिर शावक की मौत होती है तो हर बार वन विभाग की ओर से एक ही तर्क दिया जाता है। अधिकतर बाघ बाघिन या शावक की मौत का कारण आपसी संघर्ष बताया जाता है। वन विभाग का तर्क है कि रणथम्भौर में वर्तमान में क्षमता से अधिक बाघ बाघिन विचरण कर रहे है। ऐसे में टेरेटरी को लेकर बाघ बाघिनों में संघर्ष की घटनाओं में इजाफा हो रहा है। वनाधिकारियों ने बताया कि पूर्व में 2018 में वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इण्डिया की ओर से जारी एक रिपोर्ट में रणथम्भौर में अधिकतम 56 बाघ बाघिनों की क्षमता बताई गई थी, लेकिन वर्तमान में रणथम्भौर में करीब 80 से अधिक बाघ बाघिन विचरण कर रहे हैं। ऐसे में बाघों के बीच में संघर्ष की घटनाओं में इजाफा हो रहा है।