न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ 50 बुद्धिजीवियों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

Update: 2023-08-12 03:45 GMT

पूर्व न्यायाधीशों और राजदूतों सहित 250 से अधिक बुद्धिजीवियों ने राष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। न्यूजक्लिक पर चीनी प्रचार प्रसार के लिए अमेरिकी अरबपति नेविल राय सिंघम से धन प्राप्त करने का आरोप है। बुद्धिजीवियों ने कहा कि चीन द्वारा गुप्त रूप से वित्त पोषित यह पोर्टल हमारे लोकतंत्र को चुनौती दे रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि फर्जी खबरों और छल-कपट से भारतीय करदाताओं को बरगलाया जा रहा है।

न्यूजक्लिक में राफेल लड़ाकू विमान सौदे की कवरेज

पत्र में लिखा गया है कि हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप केंद्र सरकार को इस भारत विरोधी साजिश की पता लगाने के लिए तुरंत उच्चस्तरीय जांच कराने का निर्देश दें और इन दुश्मन एजेंटों को न्याय के दायरे में लाएं। पत्र में यह भी कहा गया है कि अब यह स्पष्ट है कि यह कोई संयोग नहीं बल्कि योजना थी कि न्यूजक्लिक में राफेल लड़ाकू विमान सौदे की कवरेज और विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए एजेंडे में पूरी समानता थी।

सवाल जो अनिवार्य रूप से उठता है वह यह है कि क्या हमें ऐसी ताकतों पर अंकुश नहीं लगाना चाहिए जो गलत सूचना फैला रही हैं? और विदेशी शक्तियों के इशारे पर हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही हैं? क्या हम ऐसी ताकतों को तर्क, देशभक्ति व ईमानदारी की आवाज को छोटे-मोटे एजेंडे के लिए दबाने की इजाजत दे सकते हैं?

पत्र में कहा गया है कि पोर्टल न्यूजक्लिक पड़ोसी देश चीन के साथ मिलकर भारत के हितों के खिलाफ फर्जी खबरें प्रसारित करने का दोषी है। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में हाई कोर्ट के तमाम रिटायर्ड जज, कई पूर्व आइपीएस और आइएएस अफसर, पूर्व राजनयिक, कई राज्यों के पूर्व डीजीपी और रिटायर्ड सैन्यकर्मियों समेत बुद्धिजीवी शामिल हैं।

न्यूज क्लिक और उसके प्रधान संपादक को हाई कोर्ट का नोटिस

दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को ईडी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक और उसके प्रधान संपादक से उनका रुख पूछा है। एजेंसी ने याचिका में मनी लांड्रिंग मामले में संपादक को दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा देने के पहले के आदेश को रद करने की मांग की थी।

जस्टिस सौरभ बनर्जी ने कहा कि प्रथमदृष्ट्या अंतरिम सुरक्षा हटाने के लिए जांच एजेंसी की दलीलें सुनने योग्य हैं। इस पर विचार-विमर्श की आवश्यकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने न्यूजक्लिक के प्रधान संपादक को नोटिस जारी कर उन्हें अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया।

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