छतरपुर। शिवराज सरकार ने प्रदेश भर में शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए करोड़ों रुपए भांजे भांजियों के लिए खर्च किए। सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए ड्रेस से लेकर किताबें तक मुक्त वितरण के लिए योजनाएं चलाई। मगर यह योजना धरातल पर कितनी दौड़ रही है यह बयां कर रही है मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले स्थित बिजावर विधानसभा अंतर्गत शाहगढ़ के शासकीय हाई स्कूल से। जहां पांचवी में पढ़ने वाले दलित छात्र शनि अहिरवार को स्कूल से मिलने वाली ड्रेस मांगना महंगा पड़ गया।कई महीनों से परेशान छात्र स्कूल प्रबंधन से ड्रेस की मांग करता चला आ रहा है। मगर स्कूल प्रबंधन ने उसे तीन माह बीत जाने के बाद भी स्कूल की ड्रेस नहीं दी। कई दिनों से परेशान पांचवी में अध्यनरत छात्र का भाई उसकी ड्रेस की मांग करने स्कूल पहुंचा तो वहां पर मौजूदा शिक्षक ने जमकर मारपीट कर दी और उसे बुरी तरीके से लहू लहान कर दिया। बहरहाल उसकी हालत गंभीर है और जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं घटना के बाद स्कूल में अध्यनरत शिक्षक द्वारा इस बच्चे के खिलाफ थाने में एक शिकायती आवेदन भी दिया गया है जिस पर जांच जारी है।
वहीं जब इस घटना को लेकर स्कूल में अध्ययनरत दलित छात्रा शनि अहिरवार से बात की तो उसने आरोप लगाते हुए बताया कि पिछले कई दिनों से वह परेशान है। रोजाना 4 दिन 5 दिन कहकर टाल देते हैं। उन्होंने आज तक ड्रेस उपलब्ध नहीं कराई, और शिक्षक द्वारा अभद्र बात भी की जाती थी। पीड़ित छात्र ने बताया हम दोनों भाइयों के साथ स्कूल में पदस्थ शिक्षक तिवारी ने मारपीट की। जब इस घटना की जानकारी पुलिस को दी तो जैसे तैसे करके पुलिस आई और आते साथ ही पुलिस भाई को डंडे मारने लगी। वहीं मौके पर पहुंची घायल की मां ने भी आरोप लगाते हुए कहा कि इस स्कूल में तीन बच्चे अध्ययनरत है किसी एक बच्चे को भी आज तक ड्रेस उपलब्ध नहीं हुई। स्कूल में पदस्थ तिवारी शिक्षक द्वारा मारपीट की जा रही थी।
जिसकी जानकारी मुझे लगते ही मौके पर पहुंची और शिक्षक हमसे भी अभद्र भाषा का उपयोग करने लगे। मौके पर पहुंची पुलिस ने भी एक न सुनी और मेरे ही बेटे के साथ गाली गलौच और मारपीट करने लगी। भाई रिपोर्ट लिखाने पहुंचे तो उन्होंने कहा कोई लिखने वाला नहीं है आप बिजावर जाइए तो वहीं खून से लथपथ बेटे को लेकर बिजावर पहुंची जहां उसका प्राथमिक उपचार कराया इसके बाद जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। वहीं दूसरी ओर अब तक पुलिस ने इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। वहीं इस पूरे मामले अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने बताया कि स्कूल में पदस्थ शिक्षक द्वारा स्कूल में हुए विवाद की घटना को लेकर एक शिकायती आवेदन प्राप्त हुआ है जिसको लेकर जांच की जा रही है। मध्य प्रदेश में लगातार दलितों के साथ हो रही घटनाओं को लेकर मामले दिनों दिन बढ़ते नजर आ रहे हैं जहां पिछले दिनों एक दलित के ऊपर पेशाब करने की घटना को लेकर पूरे प्रदेश में सियासी गलियारों में हलचल मचा दी थी वही अब दलित छात्र के साथ न केवल मारपीट की बल्कि उसके भाई को लहूलुहान कर दिया। अब देखने वाली बात यह है कि इस दलित बच्चों को शिव के राज में न्याय मिल पाता है या नहीं।
गुरुग्राम, 27 सितंबर (आईएएनएस)। गुरुग्राम पुलिस की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने गुरुग्राम में एक एनआरआई की 40 करोड़ रुपये की जमीन हड़पने के आरोप में हरियाणा पुलिस के एक सहायक उप-निरीक्षक और दिल्ली के तहसील कार्यालय के एक संविदा कर्मचारी सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने योजनाबद्ध तरीके से करीब 40 करोड़ रुपये की जमीन को 6.6 करोड़ रुपये में खरीदने का झांसा देकर एनआरआई की जमीन अपने नाम कर ली थी। जांच से पता चला कि 1.5 एकड़ से अधिक की जमीन दक्षिणी पेरिफेरल रोड (एसपीआर) पर बगमपुर खटोला गांव में स्थित थी और फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके इसे हड़प लिया गया था। एनआरआई पूरन मनचंदा की शिकायत के आधार पर एसआईटी ने मामले की जांच की और संदिग्धों - सुभाष चंद, वकील टोनी यादव, संजय गोस्वामी - दिल्ली के कालकाजी तहसील कार्यालय में एक अनुबंधित रिकॉर्ड कीपर भीम सिंह राठी और गुरुग्राम पुलिस के आर्थिक कार्यालय विंग में तैनात एएसआई प्रदीप, जिन्होंने कथित तौर पर संदिग्धों से रिश्वत लेकर जमीन के जाली दस्तावेज बनाए थे, को गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि टीम ने जांच के दौरान एएसआई के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक अलग मामला दर्ज किया है। संदिग्धों के खिलाफ बादशाहपुर पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 120-बी, 420, 467, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस के मुताबिक, शिकायतकर्ता मनचंदा ने 1 मार्च, 2022 को सभी संदिग्धों के खिलाफ कथित तौर पर उसकी जमीन हड़पने के लिए जमीन के दस्तावेजों में जालसाजी करने की शिकायत दर्ज कराई थी। जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि संदिग्धों ने जमीन के मूल जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (जीपीए) रिकॉर्ड में जालसाजी की थी और गोस्वामी की मदद से फर्जी जीपीए और अन्य दस्तावेज तैयार किए थे, जिन्होंने जमीन का रिकॉर्ड बदलने के लिए 5 लाख रुपये लिए थे। पुलिस ने कहा, इसके बाद आरोपियों ने जमीन हड़प ली और उन दस्तावेजों के आधार पर फर्जी तरीके से विनोद के नाम पर रजिस्ट्री करा ली। जीपीए के फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए संदिग्धों ने मेजर पी.के. मेहता सहित कुछ लोगों को फर्जी गवाह भी बनाए। मेहता की वर्ष 2001 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी और वकील संदीप, जिनके जीपीए पर हस्ताक्षर टोनी यादव ने फर्जी दस्तखत किए थे। आरोपी ने फर्जी जीपीए के आधार पर शिकायतकर्ता की 15 कनाल 2 मरला जमीन विनोद के नाम कर दी, जिसका उल्लेख राठी, शैल नारंग और ओम भाटी ने किया था। जांच के दौरान यह भी पता चला कि ईओडब्ल्यू शाखा में पदस्थ एएसआई प्रदीप आरोपियों को फायदा पहुंचाने के लिए उनसे पैसे लेता था। आरोपियों को अदालत में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस आयुक्त विकास कुमार अरोड़ा ने कहा, "गुरुग्राम पुलिस भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है। इसलिए, यदि कोई भी पुलिस अधिकारी किसी भी तरह के मामले में किसी भी तरह से शामिल पाया जाता है, तो उसके खिलाफ तुरंत सख्त कार्रवाई की जाएगी।"