दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister of India) की अध्यक्षता में देश की राजधानी दिल्ली में जीएसटी काउंसिल की 46वीं बैठक (GST Council 46th Meeting) जारी है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बैठक में सस्ते कपड़ों पर जीएसटी दरें 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने पर सहमति नहीं बनी है. इससे आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी. नए साल में रेडीमेड गारमेंट्स अब महंगे नहीं होंगे.
बैठक में तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने कहा टेक्सटाइल पर जीएसटी दरें बढ़ाने के प्रस्ताव को इस समय लागू करना सही नहीं है. क्योंकि कोरोना महामारी अभी भी जारी है. टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री अभी भी संकट से बाहर नहीं आई है. आपको बता दें कि जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स पर सभी फैसले जीएसटी काउंसिल लेती है. बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करती है. साथ ही, राज्यों के वित्त मंत्री भी इसमें शामिल होते है. जीएसटी काउंसिल की 46वीं बैठक में शामिल हुए कई राज्यों के वित्त मंत्रीकपड़े और फुटवियर की इंडस्ट्री जीएसटी काउंसिल के सितंबर में लिए गए फैसले के खिलाफ रही हैं. इस बैठक में 1 जनवरी से कपड़ों और फुटवियर पर जीएसटी रेट को बढ़ाने से ड्यूटी स्ट्रक्चर को सही करने का फैसला किया गया था.
1000 रुपये तक के जूतों पर 5 फीसदी जीएसटी लिया जाता है. वहीं, कपड़ों की बात करें तो मैनमेड यानी आदमी द्वारा बनाई गए फाइबर, यार्न और फैब्रिक्स पर जीएसटी की दर फिलहाल 18 फीसदी, 12 फीसदी और 5 फीसदी है. जूतों की तरह 1,000 रुपये के कपड़ों पर 5 फीसदी का जीएसटी लगता है. आर्टिफिशियल और सिंथेटिक यार्न पर जीएसटी की दर को बदलकर 12 फीसदी कर दिया गया है. लेकिन कॉटन, सिल्क, वुल यार्न जैसी नैचुरल यार्न पर 5 फीसदी का टैक्स लगता है.
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने संसद के शीतकालीन सत्र में बताया था कि अप्रैल 2021 से 7 दिसंबर 2021 तक केंद्र सरकार की कुल आमदनी 7.39 लाख करोड़ रुपये थी. इसमें 3 लाख 63 हजार करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट टैक्स, 3 लाख 61 हजार करोड़ रुपये का व्यक्तिगत आयकर और 15 हजार 375 करोड़ रुपये का अन्य आयकर शामिल है, जिसमें प्रतिभूति लेनदेन कर यानी STT शामिल है. वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन से प्रभावित वित्त वर्ष 2021 में शुद्ध आयकर संग्रह 9.45 खरब रुपये था. हालांकि कोविड से पहले वाले साल यानी वित्त वर्ष 2020 के दौरान संग्रह 10.51 खरब रुपये था. जबकि वित्त वर्ष 2019 में ये संग्रह 11.38 खरब रुपये था. आपको बता दें कि इस वित्तीय वर्ष के खत्म होने में करीब चार महीने बचे हुए हैं. 7 दिसंबर तक का आयकर कलेक्शन, वित्त वर्ष 2011 के पूरे साल के कलेक्शन का लगभग 80 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2010 का 70 प्रतिशत था. नवंबर में जीएसटी कलेक्शन 1.32 खरब रुपये था. ये आंकडा न केवल इस साल बल्कि देश में टैक्स की शुरुआत के बाद से दूसरा सबसे अधिक है.