मुंबई: बात साल 2016 की है। मुंबई में रहने वाले 26 वर्षीय चेतन अचिरनेकर की एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। पता चला था कि ऑटोरिक्शॉ से किराए के बचे हुए 28 रुपये के कारण दुर्घटना हुई और युवक की मौक पर ही मौत हो गई। अब इस घटना के करीब 6 साल बाद मृतक के रिश्तेदार को 43 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया गया है। विस्तार से समझते हैं कि कैसे 28 रुपये से शुरू हुआ विवाद 43 लाख रुपये तक पहुंच गया।
परिवार का कहना है कि 23 जुलाई 2016 को रात करीब 1.30 बजे चेतन एयरपोर्ट से रिक्शा लेकर विखरोली पूर्वी स्थिति घर आया। यहां आने पर ड्राइवर को 200 रुपये दिए। इसके बाद ड्राइवर ने बचे हुए रुपये देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उसके पास उपलब्ध नहीं है और वाहन शुरू कर दिया।
चेतन ने ड्राइवर को रुकने के लिए कहा, लेकिन रुकने के बजाए ड्राइवर ने रफ्तार बढ़ाने की कोशिश की। नतीजा यह हुआ कि वाहन चेतन पर पलट गया और वह बुरी तरह घायल हो गया। खास बात है कि युवक के पिता इस पूरी घटना के गवाह बने।
मोटर एक्सिडेंट क्लेम्स ट्रिब्युनल ने फ्यूचर जनराली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड कि इस बात से इनकार कर दिया कि यह गैर-इरादतन हत्या थी। ट्रिब्युनल ने पाया कि मृत्यु प्रमाण पत्र और पोस्ट मॉर्टम की रिपोर्ट बताती है कि चेतन की मौत दुर्घटना में लगी चोटों से हुई है। ट्रिब्युनल ने कहा, 'जिस तरह से दुर्घटना हुई, वह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि ऑटोरिक्शा ड्राइवर जल्दबाज, लापरवाह और दुर्घटना के लिए जिम्मेदार है।'
मुआवजे की राशि चेतन के परिवार के सदस्य गनपत और स्नेहा अचिरनेकर और छोटे भाई ओमकार अचिरनेकर को दी जाएगी। राशि का भुगतान इंश्योरेंस कंपनी और ऑटोरिक्षा के मालिक कमलेश मिश्रा मिलकर करेंगे। खास बात है कि मुआवजे की राशि की गणना के समय मौत के समय युवक की 15 हजार रुपये की सैलरी का भी ध्यान रखा गया है।