अंडरग्राउंड फायर का बढ़ता खतरा, 34 किमी रेल लाइन हो सकती है बंद
केंद्र सरकार को इससे अवगत कराया जाएगा.
धनबाद (आईएएनएस)| झरिया की कोयला खदानों और आसपास के इलाकों में जमीन के नीचे धधकती आग के खतरों के कारण धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन को जल्द ही बंद किया जा सकता है। यह रेल लाइन 34 किलोमीटर लंबी है। खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) के डायरेक्टर जनरल ने कहा है कि अंडरग्राउंड फायर के बढ़ते दायरे की वजह से इस लाइन पर ट्रेनों का परिचालन खतरनाक है। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूएल रिसर्च (सीआईएमएफआर) की ओर से आग की भयावहता का सर्वे किया जा रहा है। इसकी रिपोर्ट मिलते ही केंद्र सरकार को इससे अवगत कराया जाएगा।
सनद रहे कि खतरों को देखते हुए डीजीएमएस की रिपोर्ट पर पीएमओ ने इस रूट पर वर्ष 2017 में भी ट्रेनों का परिचालन बंद करा दिया था। स्थानीय लोगों के आंदोलन के कारण 20 महीने बाद फरवरी 2019 में इस लाइन को फिर से शुरू तो किया गया, लेकिन इसके साथ ही सरकार इस लाइन को शिफ्ट करने का प्लान तैयार करा रही है। रेलवे की एजेंसी राइट्स इस लाइन की शिफ्टिंग का ब्लू प्रिंट तैयार कर रही है। इसे लेकर एक राइट्स ने पहले ही एक प्रारंभिक रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। लाइन शिफ्टिंग पर लगभग 2 हजार करोड़ की लागत संभावित है।
माना जा रहा है कि लाइन शिफ्टिंग के काम में लंबा वक्त लगेगा, लेकिन इसके पहले वर्तमान चालू लाइन को बंद करने का निर्णय लिया जा सकता है। गौरतलब है कि इस रेल लाइन के नीचे 295 मिलियन टन कोयला का भंडार है। इसमें 195 मिलियन टन कोकिंग कोल है। इस कोयले का मूल्य करीब 65 हजार करोड़ आंका गया है। कोयला मंत्रालय इस कोयला भंडार को राख में तब्दील होने से बचाने के लिए प्रयासरत है। आगामी 27 जनवरी को झरिया के मास्टर प्लान पर केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में इस रेल लाइन की शिफ्टिंग पर भी विचार किया जाएगा।
इस रेलवे लाइन को हटाए जाने के बाद भारतीय कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) ने करीब 17 से 20 किमी लंबाई के दायरे में कोयला खनन के सात मेगा प्रोजेक्ट शुरू करने का प्रारंभिक प्लान तैयार किया है।