रांची (आईएएनएस)| झारखंड में सरकार को धान बेचने वाले 31 हजार से ज्यादा किसान मायूस हैं। उनकी मायूसी की वजह यह है कि धान बेचने के बाद अब तक उनके बकाये का भुगतान राज्य सरकार की ओर से नहीं किया गया है। किसानों का राज्य सरकार पर लगभग 167 करोड़ रुपए बकाया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य के किसानों ने करीब 17 लाख क्विंटल धान राज्य सरकार को बेचा है और अब तक भुगतान के लिए तरस रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से राज्य के 27,485 किसानों को पहली किस्त के रूप में 149.15 करोड़ का भुगतान किया गया है। पर तीन महीने से ज्यादा का समय गुजर जाने पर उन्हें दूसरी किस्त और बोनस की राशि नहीं मिली है। इससे किसानों में नाराजगी है।
राज्य सरकार की ओर से किसानों से 15 दिसंबर 2022 से धान की खरीदारी की शुरूआत की गयी थी। धान की खरीदारी के समय किसानों को एमएसपी की 50 फीसदी राशि का भुगतान किया गया था। धान की एमएसपी सरकार की ओर से 2040 रुपये प्रति क्विंटल तय की गयी थी। तीन माह में एमएसपी की बची 50 फीसदी राशि के साथ राज्य सरकार को प्रति क्विंटल दस रुपये का भुगतान बोनस के तौर पर करना था। पर इस बकाये का भुगतान अब तक नहीं किया गया है। सरकार को दूसरी किस्त के 150 करोड़ और बोनस के रूप में 17 करोड़ का भुगतान करना है।
इस बाबत पूछे जाने पर झारखंड स्टेट फूड कॉरपोरेशन के एमडी यतींद्र प्रसाद ने बताया कि किसानों को दूसरी किस्त का भुगतान मिल में धान देने के बाद किया जाता है। मिल में इस बार धान नहीं गया क्योंकि केंद्र सरकार ने कह दिया था कि चावल नहीं देंगे। केंद्र सरकार का कहना था कि अब राज्य सरकार खुद से मिल से चावल लेकर पीडीएस को दे। केंद्र सरकार ने डिसेंट्रलाइज्ड प्रोक्योरमेंट स्कीम की व्यवस्था लागू कर दी है। पहले प्रोक्योरमेंट नॉन डीसीपी मोड में होता था। डीसीपी मोड के कारण सरकार को निर्णय लेने में दो महीने का समय लग गया। इस पर करीब दो सप्ताह पहले डिसीजन हो चुका है। अब चावल मिलों से चावल आने लगा है। जल्द ही किसानों को बोनस की राशि का भुगतान किया जायेगा।