भारत-पाकिस्तान के बीच 30 साल पुरानी परंपरा, परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट का हुआ आदान-प्रदान, जानें इसके मायने

Update: 2022-01-02 02:39 GMT

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान ने शनिवार को नई दिल्ली और इस्लामाबाद में एक साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से अपने परमाणु प्रतिष्ठानों (Nuclear Installations) की एक लिस्ट का आदान-प्रदान किया. पिछले 30 सालों से लगातार एक जनवरी को भारत और पाकिस्तान की तरफ से परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट का ऐसे ही आदान-प्रदान होता आ रहा है.

माहौल सहज करने की कोशिश
ऐसा करने के पीछे ये उदेश्य रहता है कि दोनों भारत और पाकिस्तान एक दूसरे के परमाणु प्रतिष्ठानों पर कभी भी हमला नहीं करेंगे. उनकी तरफ से हमेशा इस समझौते का पालन किया जाएगा. जानकारी के लिए बता दें कि ये समझौता 31 दिसंबर, 1988 को हुआ था. इसके बाद 1991 में इसे लागू कर दिया गया और तभी से परमाणु प्रतिष्ठानों का ऐसे ही आदान-प्रदान होता आ रहा है.
...ताकि खुला रहे बातचीत का दरवाजा
इस सब के अलावा जो भी देश अपनी लिस्ट में नए परमाणु प्रतिष्ठानों का शामिल करेगा तो उसकी सूचना भी एक जनवरी को दोनों देशों को एक दूसरे को देनी होती है. ये सब कुछ दिल्ली और इस्लामाबाद में राजनयिक माध्यमों के जरिए किया जाता है. वैसे इस तरह के समझौते इसलिए भी मायने रखते हैं क्योंकि भारत-पाक के बीच हमेशा से ही तनावपूर्ण रिश्ते रहे हैं. कश्मीर को लेकर भी तकरार रहती है और आतंकवाद भी एक बड़ा मसला है. इसी वजह से ऐसे समझौते बातचीत का दरवाजा भी खुला रखते हैं और पारदर्शिता को बढ़ाने का काम भी करते हैं.
वैसे परमाणु प्रतिष्ठानों के अलावा दोनों में देश में कैद कैदियों की लिस्ट का भी आदान प्रदान होता है. पाकिस्तान की तरफ से बताया गया कि भारत के कुल 628 नागरिक उनकी जेलों में कैद हैं. इसमें कई सारे तो मछुआरे हैं. वहीं भारत में भी पाक के 355 नागरिक जेल में बंद हैं.
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