नई दिल्ली। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन (केएससीएफ) के सहयोगी संगठन सहयोग केयर फॉर यू ने आज श्रम विभाग, एसडीएम रामपुरा, डीसीपीसीआर और दिल्ली पुलिस के साथ मिल कर दिल्ली के वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में रेसक्यू ऑपरेशन कर, 30 बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराया। रेसक्यू ऑपरेशन में बचाए गए सभी बच्चों की उम्र 13 से 17 साल के बीच है, जिनमें से 4 लड़कियां हैं और बाकी सभी लड़के हैं। इन मासूम बच्चों को क्षेत्र में जूता बनाने की इकाइयों, होजरी इकाई, खिलौना निर्माण और स्टील के बर्तन बनाने वाली इकाइयों में बाल श्रमिकों के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था।
बच्चों के अनुसार, उनसे प्रतिदिन 15 घंटे के लंबे समय तक काम कराया जाता था और उन्हें 150 रुपये से लेकर 250 रुपये तक की मामूली मजदूरी दी जाती थी। बच्चों से बेहद गंदी, असुरक्षित व अमानवीय परिस्थितियों में काम कराया जाता था, जहां हवा या रोशनी का कोई रास्ता नहीं था। उन्हें अपना खाना भी ख़ुद ख़रीदना पड़ता था। जिन बच्चों को बचाया गया उनमें से आधे बाल श्रमिकों की ट्रैफिकिंग पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के दूरदराज के इलाकों से की गई थी।
सरस्वती विहार के एसडीएम के आदेश पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 370, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 और 79, चाइल्ड एंड अडॉलेसेंट लेबर एक्ट की 3, 14 और बोंडेड लेबर सिस्टम एक्ट की धारा 16,17 और 18 के तहत एफ़आईआर दर्ज की है। सरस्वती विहार के एसडीएम ने पुलिस को निर्माण इकाइयों के दोषी मालिकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने और बच्चों की न्यूनतम मजदूरी वसूलने का भी आदेश दिया है। वज़ीरपुर औद्योगिक क्षेत्र से बाल श्रमिकों के रेसक्यू पर सहयोग केयर फॉर यू के महासचिव शेखर महाजन ने कहा, "चाइल्ड ट्रैफिकिंग एक ऐसा आपराधिक अवैध कारोबार है जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। चाइल्ड ट्रैफिकिंग और चाइल्ड एक्सप्लोइटेशन दिन प्रतिदिन दुनिया भर में बढ़ता ही जा रहा है। जिस तरह से यहाँ बच्चे सुबह से शाम तक अपने घुटनों पर झुक कर काम कर रहे थे ,यह उनके शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करता है।" सीडब्ल्यूसी, श्रम विभाग व एसडीएम की निगरानी में एफ़आईआर फाइल करायी गई और बच्चों की कोविड जांच व मेडिकल भी कराया गया है।