गाजियाबाद में 3 प्रमुख शिकायतें आईं सामने, बिल्डर ने बीच में छोड़ा प्रोजेक्ट, जानिये पूरा मामला

तीन प्रमुख शिकायतें सामने आईं. पहली शिकायत– बायर्स की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. दूसरी शिकायत- बिल्डर पर कार्रवाई नहीं हो रही है और तीसरी शिकायत- जो एक बड़ा आरोप है और वो ये कि हो ना हो बिल्डर-बैंक और प्रशासन सब मिले हुए हैं.

Update: 2021-09-24 18:01 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- गाजियाबाद (Ghaziabad) के राज नगर एक्सटेंशन में आइडिया बिल्डर के मालिक अक्षय जैन, राजकुमार जैन और नमन जैन ने वर्ष 2013 में रेड एप्पल रेसिडेंसी के नाम से एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की. बायर्स को 2015 में फ्लैट का कब्जा मिलना था, लेकिन बिल्डर ने प्रोजेक्ट को अधूरा छोड़ दिया.करीब 400 लोग अब लगातार मकान की ईएमआई दे रहे हैं और किराये के मकान में रह रहे हैं. रेरा कोर्ट ने 20 से ज्यादा बायर्स के पक्ष में बिल्डर से वसूली का आदेश दे दिया है. लेकिन बिल्डर फरार है और प्रशासन उसे पकड़ पाने में नाकाम है.

अधूरी बनकर खड़ी इमारतों के बीच हमारी मुलाकात विष्णु शंकर से हुई, जोकि पेशे से वकील हैं. इन्होंने बिल्डर को लगभग पूरा पेमेंट कर दिया है.लेकिन कोई उम्मीद नहीं दिख रही है.
लोगों की तीन प्रमुख शिकायतें
ऐसे ही कई लोगों से हमारी मुलाकात हुई, तो तीन प्रमुख शिकायतें सामने आईं. पहली शिकायत– बायर्स की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. दूसरी शिकायत- बिल्डर पर कार्रवाई नहीं हो रही है और तीसरी शिकायत- जो एक बड़ा आरोप है और वो ये कि हो ना हो बिल्डर-बैंक और प्रशासन सब मिले हुए हैं.
नौशाद सैफी कहते हैं, मेरे केस में 9 तारीख को मैं बैंक गया हूं. अप्रूवल 7 तारीख को ही आ गया था. दो दिन पहले ही जबकि मैं उससे पहले बैंक भी नहीं गया था. नौ तारीख को इन्होंने बीस लाख रुपये मेरे खाते से बिल्डर को ट्रांसफर कर दिया और मेरी ईएमआई शुरू कर दी.
सुदेश पाल कहते हैं, प्रशासन बोलता है नहीं मिल रहा है. कोई पाकिस्तानी आ जाएगा तो क्या बोलेंगे नहीं मिल रहा है. प्रशासन ढूंढना नहीं चाहता है. प्रशासन जिसको चाहे चौबीस घंटे में यहां खड़ा कर दे.कुछ ना कुछ दाल में काला है.
वहीं एक और बायर सौरभ ने कहा, लोगों को रेरा से आरसी ईश्यू हुआ कि बिल्डर इंटरेस्ट के साथ पैसा वापस करें. नहीं हुआ. लोगों ने एसएसपी, डीएम के पास रिक्वेट की, कुछ नहीं हुआ.जनसुनवाई में अलग अलग शिकायत की.ना कॉल. ना बिल्डर पकड़ा या ना फलैट मिला.तो निस्तारण कैसे हो गया.
तहसीलदार ने क्या कहा?
हमने इस बारे में गाजियाबाद के तहसीलदार से भी बात की तो उन्होंने कहा कि बिल्डर के बैंक खाते सील हैं.प्रोजेक्ट अधूरा होने के कारण नीलामी में बायर्स नहीं मिल रहे हैं. तहसीलदार का कहना है कि पुलिस को बिल्डर का पता नहीं चल पा रहा है. हमने गाजियाबाद पुलिस से बात की तो एसपी सिटी ने मामले की पूरी जानकारी लेने के लिए हमसे समय मांगा. लेकिन कुछ दिनों पहले इसी बिल्डर ने ज़ूम कॉल पर बायर्स के साथ मीटिंग की थी.
साफ है कि बिल्डर टालमटोल के मूड में है.लेकिन कमाल ये है कि वो खुलेआम कानून तोड़ रहा है और जिनके पास कानून के हिसाब से सिस्टम को चलाने की ज़िम्मेदारी है, उनकी पकड़ से दूर भी है.


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