नई दिल्ली। यकृत (लिवर) प्रतिरोपण का इंतजार कर रहे सीमा सुरक्षा बल (BSF) के 42 वर्षीय एक कर्मी को शुक्रवार को नयी जिंदगी मिल गई. दरअसल, 70 वर्षीय एक व्यक्ति का यकृत महज 22 मिनट में 23 किमी की दूरी तय कर उसके प्रतिरोपण के लिए यहां एक अस्पताल पहुंचाया गया. शहर के एक अस्पताल ने यह जानकारी दी. बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (BLK-Max Super Specialty Hospital) ने एक बयान में कहा कि मस्तिष्काघात का शिकार हुए 70 वर्षीय व्यक्ति का यकृत बीएसएफ कर्मी के शरीर में प्रतिरोपित किया गया. अस्पताल के चिकित्सकों ने सर्जरी कर मध्य प्रदेश के ग्वालियर (Gwalior) निवासी बीएसएफ कर्मी को एक नयी जिंदगी दी.
वहीं, पिछले महीने मध्य प्रदेश के रीवा स्थित संजय गांधी अस्पताल से चोरहटा हवाई पट्टी तक 10 किलोमीटर के सफर को तय करने के लिए आज तकरीबन 10 मिनट तक शहर को थाम दिया गया था. ये सब सिंगरौली में पदस्थ ADJ संजय द्विवेदी की जान बचाने के लिए किया गया. इसके बाद संजय द्विवेदी को एअरलिफ्ट के माध्यम से दिल्ली के मणिपाल अस्पताल इलाज के लिए भेजा गया बताया जा रहा है, पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशन के चलते एडीजे की तबीयत खराब हुई थी, जिनके इलाज के लिए यह व्यवस्था बनाई गई.
दरअसल, रीवा के संजय गांधी अस्पताल में बीते डेढ़ माह से इलाजरत सिंगरौली में पदस्थ एडीजे संजय द्विवेदी को दिल्ली के मणिपाल अस्पताल रेफर किया गया था. जिसके लिए रीवा में पहली बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था. ग्रीन कॉरिडोर के तहत तकरीबन 10 किलोमीटर के एरिया पर 10 मिनट तक के लिए शहर को थाम दिया गया था. जिसके बाद एअरलिफ्ट के माध्यम से एडीजे संजय द्विवेदी को दिल्ली भेजा गया. दरअसल संजय गांधी अस्पताल में 1 माह से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद जब एडीजे संजय द्विवेदी की हालत में सुधार नहीं आया. परिजनों के द्वारा एडीजे को दिल्ली रेफर कराया गया जिसके लिए बकायदा 10 किलोमीटर के एरिया में ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था.