झुंझुनूं: राजस्थान के झुंझुनूं जिले में मन्नानाथ आश्रम में खुदाई के दौरान 200 साल पुराना घी निकला है. यह घी एक लोटे में मिला. जिसे जांच के लिए भेजा गया है. टांई गांव में बने इस आश्रम का इतिहास करीब दो हजार साल पुराना है. मठ की खुदाई में निकले इस घी की पूरे शेखावाटी में चर्चा है.
मठ के गुंबद से निकले घी के पात्र को देखने श्रद्धालु मठ पहुंच रहे हैं. करीब एक महीने पहले मठ में रिनोवेशन का काम शुरू हुआ था. शिखर को नया रूप देने के लिए तोड़ा गया था. वहां काम कर रहे मजदूरों को दीवार में चुना हुआ धातु का लोटा मिला. लोटे में घी भरा था.महंत सोमनाथ के मुताबिक यह मठ सैकड़ों साल पुराना है. उस समय निर्माण के वक्त ही शिखर में घी का कलश रखा गया था.
झुंझुनूं मुख्यालय से चूरू रोड पर करीब 35 किलोमीटर दूर मन्नानाथ पंथियों का आश्रम बना हुआ है. इस आश्रम का इतिहास काफी पुराना है. ग्रामीण के मुताबिक, इस आश्रम का इतिहास करीब दो हजार साल पुराना है. राजा अपना राजपाट छोड़कर तपस्या के लिए आए थे. बाबा गोरखनाथ ने उन्हें कहा था कि जहां पर यह घोड़ा रुक जाए. वहीं पर अपना तपस्या स्थल बना लेना. राज रशालु का घोड़ा इसी भूमि पर आकर रूका था. रशालु ने यहां पर तपस्या की थी. गोरखनाथ अपने शिष्य को संभालने के लिए टांई की इस तपस्या भूमि पर आए थे. रशालु तपस्या में लीन थे. बाबा गोरखनाथ उन्हें मन्ना नाथा नाम दिया था. तब ही मन्ना नाथी पंथ शुरू हुआ था. ग्रामीणों के मुताबिक इस मठ की शुरुआत एक रेत के टीले से हुई थी, जिसके आधार पर इस गांव का नाम टांई रखा गया. आज से 105 साल पहले इस मठ का ईंट पत्थरों और मिट्टी से निर्माण करवाया गया था.