घटना को लेकर लोगों ने इसमें कर्मचारियों को बिना सुरक्षा साधनों के 20 फीट गहरी सीवेज लाइन में उतारे जाने के आरोप लग रहे हैं। सीवेज लाइन की गहराई के कारण व्यक्ति के सुरक्षित रहने लायक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचने की जगह भी नहीं थी। घटना के बाद नगर निगम के अधिकारी एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जोनल अधिकारी विक्रम झा ने बताया कि प्रोजेक्ट का काम सब इंजीनियर अविनाश ठाकरे देखते हैं तो ठाकरे को मोबाइल लगाया गया तो उन्होंने एक बार फोन अटैंड किया मगर उन्होंने कहा कि उन्हें हमारी आवाज नहीं आ रही। इसके बाद उन्होंने फोन रिसीव ही नहीं किया। इस कारण घटना को लेकर नगर निगम का पक्ष नहीं लिया जा सका। साथ ही सीवेज लाइन में मजदूरों को उतारने के लिए किन-किन साधनों को उपलब्ध कराया गया था, इसका भी पता नहीं चल सका।