2,103 मृतकों को पेंशन के रूप में दिए दो करोड़, 2.8 करोड़ प्रचार पर खर्च: सीएजी
नई दिल्ली: ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) ने 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2,103 राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) लाभार्थियों को उनकी मृत्यु के बाद भी दो करोड़ रुपये की पेंशन का भुगतान किया और 2.83 करोड़ों रुपये प्रचार पर खर्च किए। भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
2017-18 से 2020-21 तक एनएसएपी के प्रदर्शन ऑडिट पर सीएजी रिपोर्ट मंगलवार को लोकसभा में पेश की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि एनएसएपी के दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी पेंशनभोगी की पेंशन मृत्यु या प्रवासन या बीपीएल पार करने या किसी अन्य कारण से बंद की जा सकती है और तदनुसार पेंशन भुगतान रोक दिया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि इसके अलावा, ग्राम पंचायतें या नगर पालिकाएं पेंशनभोगी की मृत्यु के हर मामले की रिपोर्ट नामित प्राधिकारी को देंगी। इसमें कहा गया है, "मृत्यु की सूचना न देने से लाभार्थी की मृत्यु के बाद भी पेंशन जारी रहती है।"
रिपोर्ट के मुतााबिक अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, केरल, लद्दाख, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नागालैंड, ओडिशा, पंजाब, सिक्किम, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और पुडुचेरी जैसे 23 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में लाभार्थियों की मृत्यु की सूचना ग्राम पंचायतों या नगर पालिकाओं द्वारा समय पर नहीं दी जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है, ''26 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में, एनएसएपी लाभार्थियों की मृत्यु के बाद भी 2,103 लाभार्थियों के मामले में दो करोड़ रुपये की पेंशन का भुगतान किया गया।''
रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में 453 लाभार्थियों को 83.27 लाख रुपये, गुजरात में 413 लाभार्थियों को 11.83 लाख रुपये और त्रिपुरा में 250 लाभार्थियों को उनकी मृत्यु के बाद भी 1.83 लाख रुपये मिले। सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है, "लाभार्थी सर्वेक्षण के दौरान, यह देखा गया कि 8,461 लाभार्थियों में से 290 के मामले में, लाभार्थियों की मृत्यु के बाद भी पेंशन भुगतान जारी रखा गया। इससे संकेत मिलता है कि एनएसएपी दिशानिर्देशों के अनुसार आवश्यक मृत्यु की और पेंशन रोकने की रिपोर्ट नहीं की जा रही है।" ग्राम पंचायतों या नगर पालिकाओं द्वारा संबंधित अधिकारियों को समय पर एनएसएपी लाभार्थियों की मृत्यु की सूचना न देने के परिणामस्वरूप पेंशन का अनियमित भुगतान हुआ। इसमें कहा गया है कि लाभार्थियों की मृत्यु के बाद पेंशन भुगतान जारी रखने से बचने के लिए जीवन प्रमाण पत्र जमा करने आदि जैसे उपायों से इसका समाधान किया जाना चाहिए।
सीएजी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एमओआरडी ने अपनी कुछ अन्य योजनाओं के प्रचार के लिए एनएसएपी से धन का उपयोग किया, इसमें वृद्धावस्था पेंशन योजना भी शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि एनएसएपी के तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आवंटन एनएसएपी की विभिन्न उप-योजनाओं के तहत पेंशन के वितरण के लिए था। "किसी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश को कुल आवंटन में से, तीन प्रतिशत निधि प्रशासनिक व्यय के लिए थी। लेखापरीक्षा के दौरान एनएसएपी के लिए आवंटित धनराशि में से मंत्रालय और राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा धन के विचलन के मामले देखे गए।
"जनवरी 2017 में एमओआरडी ने मंत्रालय के सभी कार्यक्रमों और योजनाओं को उचित प्रचार देने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में होर्डिंग्स के माध्यम से अभियान चलाने का निर्णय लिया। रिपोर्ट में कहा गया है, "राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के प्रत्येक राजधानी शहर में 10 होर्डिंग्स की सीमा के साथ होर्डिंग्स के माध्यम से प्रचार अभियान के लिए 39.15 लाख रुपये की प्रशासनिक मंजूरी और वित्तीय मंजूरी ली गई थी।"
इसमें आगे कहा गया है कि ग्राम समृद्धि, स्वच्छ भारत पखवाड़ा में प्रचार और 19 राज्यों के प्रत्येक जिले में पांच होर्डिंग्स के माध्यम से मंत्रालय की कई योजनाओं की प्रचार सामग्री के लिए अगस्त 2017 में 2.44 करोड़ रुपये की प्रशासनिक मंजूरी और व्यय मंजूरी ली गई थी
रिपोर्ट में कहा गया है कि डीएवीपी को जून और सितंबर 2017 में कार्य आदेश जारी किए गए थे। सितंबर 2017 में प्रचार अभियान चलाया जाना था। उक्त अभियान के लिए धनराशि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत उपलब्ध बताई गई थी और इसे उसी मद के तहत खर्च करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किया गया था। "हालांकि, ऑडिट में पाया गया कि धनराशि वास्तव में सामाजिक सुरक्षा कल्याण-एनएसएपी योजनाओं से खर्च की गई थी।"
सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है, "इसलिए, एनएसएपी के तहत नियोजित आईईसी गतिविधियां परिकल्पना के अनुरूप नहीं की गईं और मंत्रालय की अन्य योजनाओं के संबंध में प्रचार के लिए 2.83 करोड़ रुपये की धनराशि का इस्तेमाल किया गया।"
इसमें कहा गया है, "इसलिए, एनएसएपी के संभावित लाभार्थियों के बीच जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से आईईसी गतिविधियों को शुरू नहीं किया जा सका, भले ही आईईसी गतिविधियों के लिए धन निर्धारित किया गया था।" रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले साल दिसंबर में अपने उत्तर में मंत्रालय ने कहा कि मामले को जांच के लिए आईईसी को सौंप दिया गया है।