मरे मिले 150 मोर, कुत्ते नोचकर खा रहे, इलाके के लोगों में हड़कंप, विसरा लेकर जांच के लिए भेजा गया
विभाग की लापरवाही इस कदर है कि जगह-जगह मरे मोरों को कुत्ते नोचकर खा रहे हैं.
राजस्थान के पाली जिले के रोहट तहसील में राष्ट्रीय पक्षी मोर लगातार मर रहे हैं जबकि वन विभाग चैन की बांसुरी बजा रहा है. रोहट में पिछले 15 से 17 दिनों से मोरों के मरने या बीमार होने की लगातार खबरें आ रही हैं. स्थानीय लोग मोरों से मरने से परेशान हैं तो विभाग की लापरवाही इस कदर है कि जगह-जगह मरे मोरों को कुत्ते नोचकर खा रहे हैं.
विश्नोइयों की ढाणी, भाकरीवाला और सांवलता खुर्द क्षेत्र में मोरों की मरने या बीमार होने का सिलसिला आज भी जारी रहा. मोरों की लगातार मौत के बाद बीटीएफ जिलाध्यक्ष भैराराम इराम ने आंदोलन की चेतावनी दी है. वन विभाग की कार्यशैली पर आक्रोश जताते हुए बीटीएफ जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारी इराम ने बताया कि सांवलता खुर्द व भाकरीवाला, विश्नोइयों की ढाणी क्षेत्र में अब तक 150 से अधिक मोरों की मौत या बीमार हो चुके हैं.
हालांकि एडीएफओ आज तक मौका मुआयना करने क्षेत्र में नहीं आए. पदाधिकारियों ने कहा कि एक-दो दिन में गंभीरता से नहीं लिया गया तो विश्नोई समाज और वन्यजीव प्रेमी आंदोलन करेंगे.
एडीएफओ अरविंद चरण ने 150 मोरबताया कि 35 बीमार मोरों को जोधपुर भिजवाया गया है जबकि 20 मोर मृत अवस्था में मिले. जब एडीएफओ से वन्यजीव प्रेमियों के अनुसार 100-150 के करीब मृत व बीमार की संख्या होना बताया गया तो उन्होंने कहा कि यह गलत है. एडीएफओ ने कहा कि वहां रेंजर जवान सिंह बैठे हैं. वनपाल कुंदन सिंह ने 24 अप्रैल से 8 मई तक 60 मोरों का रेस्क्यू करना बताया था.
बीटीएफ जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारी ने बताया कि पाली में मोरों की मौत का सिलसिला पिछले 15 से 17 दिनों से चल रहा है. इसमें 150 से अधिक मोर मृत या बीमार मिले हैं. सांवलता खुर्द व भाकरीवाला, विश्नोईयों की ढाणी क्षेत्र में जगह-जगह मरे मोरों के कुत्तों के द्वारा नोचकर खाने से पंख बिखरे पड़े हैं.
सोमवार को 17 मोर मिले जिसमें इनमें 5 घायल व 2 मृत मोरों का वन विभाग द्वारा रेस्क्यू किया गया. कुत्तों द्वारा नोंचने से अन्य मोरों का रेस्क्यू नहीं हुआ. रविवार को 7 मोरों का रेस्क्यू किया गया था, जबकि इससे पूर्व शनिवार को 12, गुरुवार को 8, बुधवार को 13 मोरों का रेस्क्यू किया गया था इनमें 17 मोरों की मौत हो गई थी.
कामधेनु सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ललित पालीवाल ने मंगलवार को बीमार व मृत मोरों के रेस्क्यू में मदद करने वाले कार्यकर्ताओं के लिए पांच पीपीई किट प्राप्त कर रेस्क्यू में लगे वन्यजीव प्रेमियों को दिए.
वन विभाग की मदद में लगे लोगों को सुरक्षा के लिए विभाग द्वारा संसाधन भी उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे हैं. वहीं बर्ड फ्लू की आशंका के चलते दो मोरों के शव 5 मई को भोपाल भिजवाए गए, जिसकी रिपोर्ट मिलने की बात के आधार मोर बर्ड फ्लू से नहीं मरे. स्थानीय अनजान कारण हो सकता है.
सवेरे सांवलता खुर्द में घायल मोरों की सूचना पर वन विभाग के वनरक्षक जयपाल सिंह टीम के साथ मौके पर पहुंचे. मदद से सांवलता खुर्द क्षेत्र से 13 घायल मोरों का वन विभाग की टीम द्वारा रेस्क्यू किया गया.
वन विभाग की टीम द्वारा पहले 11 बीमार मोरों को माचिया जैविक उद्यान रेस्क्यू सेंटर जोधपुर ले जाया गया. इस दौरान एक मादा मोर की रास्ते में मौत हो गई. मंगलवार शाम को सांवलता खुर्द क्षेत्र से दो और बीमार मोरों को रेस्क्यू कर जोधपुर ले जाया गया. इस तरह मंगलवार को कुल 13 मोरों का रेस्क्यू किया गया. इसमें एक की मौत हो गई.
रोहट तहसील क्षेत्र के भाकरीवाला स्थित विश्नोई की ढाणी में पिछले दिनों मृत मिले मोरों के सैंपल जांच में निगेटिव पाए गए. भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान को भेजे गए नमूनों की जांच रिपोर्ट में किसी तरह के संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है.
जिला कलेक्टर अंश दीप ने बताया कि रोहट तहसील क्षेत्र के भाकरीवाला स्थित विश्नोई की ढाणी में पिछले दिनों बड़ी संख्या में मोर मृत पाए गए थे. एवियन इन्फलुएंजा के संक्रमण के मद्देनजर स्थानीय पशुपालन विभाग ने मृत मोरों का विसरा लेकर जांच के लिए भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान को भिजवाए थे. संस्थान में मृत मोरों का विसरा जांचने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रेषित की है. उन्होंने बताया कि संस्थान के निदेशक वीपी सिंह की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में साफ किया गया है कि मृत मोरों के नमूनों में किसी तरह का संक्रमण नहीं है.