12000 करोड़ का नुकसान, 500 लोगों की मौत
शिमला। खट्टी-मीठी यादों के साथ जाने वाले वर्ष को विदाई और अगले वर्ष का स्वागत किया जाता है। वर्ष 2023 हिमाचल प्रदेश को ऐसे गहरे जख्म देकर जा रहा है जो शायद लोग कभी नहीं भूल पाएंगे। वर्ष 2023 को प्राकृतिक आपदा के लिए याद किया जाएगा। वहीं शिमला, ममलीग और अन्य कई स्थानों पर …
शिमला। खट्टी-मीठी यादों के साथ जाने वाले वर्ष को विदाई और अगले वर्ष का स्वागत किया जाता है। वर्ष 2023 हिमाचल प्रदेश को ऐसे गहरे जख्म देकर जा रहा है जो शायद लोग कभी नहीं भूल पाएंगे। वर्ष 2023 को प्राकृतिक आपदा के लिए याद किया जाएगा। वहीं शिमला, ममलीग और अन्य कई स्थानों पर इस बरसात ने जमकर कहर बरपाया। शिमला के समरहिल में 20 लोगों ने अपनी जान गवाई वहीं ममलीग में चार बच्चों सहित सात लोग बह गए। जिन्हें मौत के मूह में सुला दिया। कुल्लू में कई लोगों ने अपनी जान गवानी पडी। इसके इलावा दो लोगों की मौत लालपानी स्थित हुई।
हिमाचल में करीब 12000 करोड़ का नुकसान हुआ हैं। कई मकान गिर गए। गवों को नुकसान पहुंचा। इसके साथ ही करीब 500 लोगों की मौत हुई। इसके साथ ही मनाली, कुल्लू में भारी तबाही देखने का मिली। पंजाब रोडवेज की बस नदी बहा कर ले गई। मंडी जिला में इस वर्ष 25 जून, नौ व 10 जुलाई तथा 12, 13 और 23 अगस्त को प्राकृतिक आपदा ने अपना कहर कुछ इस कदर ढाया कि हजारों करोड़ की संपत्ति के नुकसान के साथ ही सैंकड़ों लोगों को अपनी जानें भी गंवानी पड़ी। हजारों लोग घर से बेघर हो गए।
प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार मंडी जिला में एक हजार से ज्यादा घर पूरी तरह से टूट गए, जबकि 2400 से ज्यादा घरों को आंशिक तौर पर नुकसान पहुंचा है। 284 दुकानें और 2333 गौशालाएं तबाह हो गई। कोई 156 लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ी, जबकि 651 पशु भी इस आपदा के कारण काल का ग्रास बने। सरकारी उपक्रमों को भी भारी नुकसान पहुंचा। एडीएम मंडी डा. मदन कुमार के अनुसार मंडी जिला में इस त्रासदी के कारण 1472 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ है। सरकार ने अभी तक जिला के आपदा प्रभावितों को 54 करोड़ की राशि वितरित कर दी है जबकि बाकी राशि बांटने का कार्य भी जारी है।
प्रभावित इस त्रासदी से मिले जख्मों को कभी नहीं भुला पाएंगे। जिन आशियानों में हंसते-खेलते परिवार रहते थे वहां अब मलबे के ढेर के सिवाय और कुछ नहीं। सैंकड़ों ने अपनों को हमेशा के लिए खो दिया तो हजारों घर से बेघर हो गए। प्रभावितों के लिए सरकार ने राहत पैकेज की घोषणा की है और मुआवजा की कुछ राशि मिल भी गई है, लेकिन बहुत से ऐसे हैं जिनके पास घर बनाने के लिए जमीन भी नहीं बची है। यह परिवार किराए के कमरों में जिंदगी काटने को मजबूर हैं।
प्रभावित मजनू राम और नानक चंद ने बताया कि इस वर्ष जो बरसात हुई, वैसी बरसात उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं देखी। इन्होंने सरकार से जल्द से जल्द जमीन देने की गुहार लगाई है, ताकि वे अपना घर बना सकें। प्रभावितों के इन्हीं जख्मों के साथ अब साल 2023 को विदा देते हुए हर कोई यही दुआ कर रहा है जो भीषण त्रासदी 2023 में देखने को मिली, ऐसी त्रासदी फिर कभी देखने को न मिले और आने वाला वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो।