108 KM लंबा विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरू, पहुंच सकते हैं एक करोड़ से भी ज्यादा लोग
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाबाधाम भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
देवघर: झारखंड के देवघर में विश्व प्रसिद्ध राजकीय श्रावणी मेले की शुरुआत हो गई है। झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने बिहार-झारखंड की सीमा स्थित दुम्मा में आयोजित एक कार्यक्रम में इसका उद्घाटन किया। बिहार के सुल्तानगंज स्थित उत्तरवाहिनी गंगा से लेकर झारखंड के देवघर स्थित बाबाधाम तक 108 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में यह एशिया का सबसे लंबा मेला माना जाता है। इस बार यह मेला दो महीने तक चलेगा। हिंदुओं के धार्मिक पंचांग के अनुसार इस बार श्रावण के बीच में ही एक महीने का अधिकमास पड़ रहा है। ऐसे में श्रावणी मेले का पहला चरण 4 जुलाई से 16 जुलाई तक और दूसरा चरण 16 अगस्त से 31 अगस्त तक रहेगा। इस बीच 17 जुलाई से 15 अगस्त तक अधिकमास या मलमास का महीना रहेगा।
मेले के उद्घाटन के बाद ही बिहार के सुल्तानगंज से लेकर देवघर और दुमका स्थित बासुकीनाथ मंदिर तक का इलाका बोल-बम के नारों से गुंजायमान है। सोमवार को गुरु पूर्णिमा के दिन हजारों कांवड़ियों ने सुल्तानगंज में पवित्र गंगा नदी से जल उठाया और देवघर तक की 108 किमी लंबी यात्रा के लिए निकल पड़े। पूरे रास्ते में महीन रेत गिराई गई है, ताकि पैदल कांवड़ियों को सहूलियत हो। इसके अलावा उन पर जगह-जगह कृत्रिम जल वर्षा की भी व्यवस्था की गई है। रास्ते में बिहार एवं झारखंड सरकार के साथ-साथ सैकड़ों संस्थाओं की ओर से सेवा एवं विश्राम शिविर बनाए गए हैं।
देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने बताया कि श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर में वीआईपी, वीवीआईपी और आउट ऑफ टर्न दर्शन की व्यवस्था पूरी तरह बंद कर दी गई है। मंदिर में ज्योतिर्लिंग की स्पर्श पूजा की भी अनुमति नहीं दी गई है। दर्शनार्थियों की सुविधा के मद्देनजर अरघा के माध्यम से जलार्पण की व्यवस्था की गई है। मेला क्षेत्र में होल्डिंग पॉइंट, आवास, पेयजल, शौचालय, स्वास्थ्य सुविधा, साफ-सफाई पर भी निगरानी की जा रही है। मेला क्षेत्र में प्रतिनियुक्त अधिकारियों, दंडाधिकारियों, पुलिस पदाधिकारियों को सेवा भाव और विनम्रता से सक्रिय रहने का निर्देश दिया गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाबाधाम भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। सावन महीने में लाखों भक्त बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर 108 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए देवघर पहुंचकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। देवघर में जलाभिषेक के बाद ज्यादातर श्रद्धालु दुमका स्थित बासुकीनाथधाम भी जाते हैं। अनुमान है कि दो महीने तक चलने वाले श्रावणी मेले में इस बार एक करोड़ से भी ज्यादा लोग पहुंच सकते हैं।