टीकों के प्रति अविश्वास के कारण नहीं हो सका है शत-प्रतिशत टीकाकरण

Update: 2023-04-09 06:25 GMT
सुप्रिया रमेश
नई दिल्ली (आईएएनएस)| तीन साल तक कोविड-19 के डर और दहशत में जीने के बाद जब दुनिया सामान्य स्थिति की ओर वापस लौट रही थी तो भारत में एक बार फिर संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है जो यह दर्शाता है कि महामारी अभी भी नियंत्रण में नहीं है।
देश में शनिवार (8 अप्रैल) को कोविड-19 के 6,155 नए मामले दर्ज किए गए और सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 30,000 से अधिक हो गई। दैनिक पॉजिटिविटी रेट का राष्ट्रीय औसत पांच प्रतिशत को पार कर 5.63 प्रतिशत पर पहुंच गया। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट 3.47 प्रतिशत रहा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के शनिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, नौ और लोगों की कोरोना से मौत के साथ ही मरने वालों की कुल संख्या 5,30,954 हो गई। वहीं ठीक होकर अस्पताल से छुट्टी पाने वालों की संख्या 4.41 करोड़ पर पहुंच गई।
भले ही देश में टीकाकरण दर के आंकड़े बहुत उत्साहजनक हैं, फिर भी बहुत सारे कारक अभी भी लोगों को खुद को टीका लगाने से रोकने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। टीकाकरण के साइड इफेक्ट को लेकर चल रही ढेर सारी अफवाहों के कारण लोग टीका लगवाने से डर रहे हैं।
सीके बिड़ला अस्पताल, गुरुग्राम में आंतरिक चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र गुप्ता ने कहा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर टीकों के खिलाफ बहुत सारे नकारात्मक प्रचार हैं, जिसके कारण लोगों ने दूसरा शॉट या बूस्टर खुराक नहीं लिया।
राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान 16 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। अब तक कुल 220.66 करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं। इनमें 95.21 करोड़ लोग सेकेंड डोज और 22.87 करोड़ लोग प्रिकॉशन या बूस्टर डोज भी लगवा चुके हैं।
मंत्रायल के 8 अप्रैल 2023 के आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटे में टीके की 1,963 खुराकें लगाई गई हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण की दर और भी कम है। रोहतक के गढ़ी बोहर गांव के रहने वाले प्रवेश नांदल (38) ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि उनके गांव के अधिकांश लोगों ने टीके नहीं लगवाए हैं, लेकिन उन्होंने किसी तरह दोनों खुराक के लिए सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया है। उन्होंने कहा, लगवाने के बाद भी कई लोगों की मौत होने के बाद अधिकांश ग्रामीणों ने इसे लेने से परहेज किया।
ग्रामीणों में अफवाहें फैल गई हैं और डर उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। उन्हें अपने प्रियजनों को खोने और वायरस के साथ जीने का डर सता रहा है।
झज्जर के बहादुरगढ़ निवासी विजय डांगी (37) ने कहा, पहली बार जब मेरे दादाजी को कोविड हुआ, तो वे ठीक हो गए। कहानी का चौंकाने वाला हिस्सा यह है कि दूसरी खुराक लेने के बावजूद, उन्हें फिर से कोविड हो गया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
डांगी, जिनके साथ उनकी पत्नी, एक बेटा और मां रह रही हैं, ने कहा कि वे दूसरी खुराक लेने को लेकर बहुत आशंकित हैं।
विशेषज्ञ कहते रहे हैं और अब भी कहते हैं कि टीके महत्वपूर्ण हैं और इससे काफी मदद मिली है।
डॉ. रवींद्र गुप्ता ने कहा, वैक्सीन का लाभ अब बहुत स्पष्ट है क्योंकि मृत्यु दर में भारी गिरावट आई है। अब तक किए गए किसी भी अध्ययन में साइड इफेक्ट नहीं देखा गया है या प्रमाणित हुआ है।
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम की वरिष्ठ संक्रामक रोग चिकित्सक डॉ. नेहा गुप्ता ने कहा, ध्यान देने वाली बात यह है कि टीका संक्रमण की गंभीरता को कम करता है।
दिल्ली के एम्स में सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर. साल्वे ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि कोविड-19 संक्रमण में उछाल एक नए वेरिएंट और वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा में कमी के कारण हो सकता है।
उन्होंने कहा, हालांकि, कोविड के अधिकांश लक्षण हल्के से मध्यम हैं, इसलिए घबराने और प्रतिबंधों जैसे कठोर उपायों की तरफ जाने की जरूरत नहीं है। छोटे सुरक्षा उपाय आपको इस चरण से बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं - जैसे हाथ धोने और खांसते समय मुंह ढंकने की आदत बनाए रखना, मास्क का उपयोग करना आदि।
डॉ. रवींद्र गुप्ता ने टिप्पणी की, खांसने और छींकने के दौरान रुमाल या नैपकिन का उपयोग करने के सरल उपायों का अभ्यास अधिकांश लोगों द्वारा नहीं किया जाता है। हम महामारी के पिछले अनुभव से हम नहीं सीख रहे हैं।
हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रतिबंधों की कोई आवश्यकता नहीं है। स्वाइन फ्लू, फ्लू, एच3एन2, कोरोना, आदि जैसे सभी प्रकार के श्वसन संक्रमणों से बचाने के लिए सरल स्वच्छता आदतें सिखाई जानी चाहिए और उनका पालन किया जाना चाहिए।
डॉ. नेहा गुप्ता ने कहा, हम मामलों में वृद्धि देख रहे हैं, लेकिन ये हल्के हैं और इसमें तेजी से उतार-चढ़ाव की संभावना है। मास्क, हाथ की स्वच्छता, बड़ी सभाओं तथा भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना बुनियादी अभ्यास हैं, जिनका पालन करना चाहिए।
Tags:    

Similar News

-->