भूस्खलन में ढह गया 1 करोड़ का बंगला, देखें खौफनाक VIDEO...

पुलिसकर्मी के सपनों का घर बहा

Update: 2023-08-18 10:52 GMT
हिमाचल। हिमाचल में लैंडस्लाइड से बुरा हाल है। अब तक लगभग 71 लोगों की मौत हो चुकी है। यहीं पर 54 साल के अशोक गुलेरिया भारतीय सेना से लांस नायक के पद से रिटायर होने के बाद शिमला में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं। दो साल पहले उन्होंने मंडी जिले के अपने पैतृक गांव में 80 लाख रुपये लगाकर एक घर बनाया था। बाद में उन्होंने फर्नीचर और इंटीरियर में और पैसे लगाए। कुल मिलाकर इस घर को बनाने में उनके एक करोड़ से अधिक रूपये लग गए। रिपोर्ट के अनुसार, 14 अगस्त की सुबह हिमाचल प्रदेश में हुए भूस्खलन के बाद उनका घर मलबे के ढेर में बदल गया। उनकी आंखों के सामने ही उनके सपनों का घर बह गया। हालांकि इसके बाद भी उन्होंने अपना फर्ज निभाया और अपनी ड्यूटी पर चले गए।
अपना घर बह जाने पर गुलेरिया कहते हैं कि घर तीन फ्लोर का था। मैंने फर्नीचर सहित कुल मिलाकर लगभग 1 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए थे। वे घर के बाहर खड़ी अपनी कार भी नहीं निकाल सके थे क्योंकि गांव के बाहर की सड़क पहले ही टूट चुकी थी। गुलेरिया के घर ढहने का वीडियो वायरल हो गया है। उनका कहना है कि उस वीडियो को बार-बार देखने से लोगों को परेशानी हो सकती है मगर इसके पीछे के दर्द को कोई नहीं जानता। हालांकि अपने सपनों के घर को अपनी आंखों के सामने ढहते देखने के कुछ घंटों बाद ही गुलेरिया शिमला में ड्यूटी पर चले गए। गुलेरिया दुखी आवाज में कहते हैं कि घर चला गया है, लेकिन नौकरी है। इसलिए कर्तव्य का पालन करना होगा।
गुलेरिया के घर ढहने का वीडियो वायरल हो गया है। उनका कहना है कि उस वीडियो को बार-बार देखने से लोगों को परेशानी हो सकती है मगर इसके पीछे के दर्द को कोई नहीं जानता। हालांकि अपने सपनों के घर को अपनी आंखों के सामने ढहते देखने के कुछ घंटों बाद ही गुलेरिया शिमला में ड्यूटी पर चले गए। गुलेरिया दुखी आवाज में कहते हैं कि घर चला गया है, लेकिन नौकरी है। इसलिए कर्तव्य का पालन करना होगा। हमारे सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गुलेरिया अपनी पत्नी के साथ शिमला में रहते हैं और गांव में अपने घर पर आते-जाते रहते हैं। जिसे उन्होंने रिटायर होने के बाद बनवाया था। उनकी बेटी की शादी हो चुकी है जबकि बेटा इंजीनियर है। वह चंडीगढ़ में काम करता है। गुलेरिया कहते हैं, “मैं एक सप्ताह के लिए अपने गांव गया था। घर से सामान भी नहीं निकाल सका। शिमला में मानसून ने कई लोगों की जान ले ली है और कई शवों का अभी भी पता नहीं चल पाया है। कम से कम हम सब सुरक्षित हैं। जान है तो जहान है…अब देखते हैं मुख्यमंत्री नुकसान की भरपाई के बारे में क्या फैसला करते हैं।”
गुलेरिया आगे कहते हैं “मुझे मंगलवार को फोन आया था कि जिला प्रशासन की तरफ से 5,000 रुपये की तत्काल मदद दी जा रही है। बाकी मुआवजा अभी तय नहीं हुआ है।” वे पूछते हैं कि इस 5,000 रुपये की क्या ज़रूरत है। उन्होंने वो राशि नहीं ली। कुछ लोग डर के मारे अपना घर छोड़कर किराये के घर में चले गए हैं। वहीं कुछ लोग जान जोखिम में डालकर वहीं पर रह रहे हैं। उनके पास पालतू पशु हैं। जिन्हें छोड़कर वे अकेले नहीं जाना चाहते हैं। जानकारी के अनुसार, जानवरों को गांव से बाहर ले जाने का कोई रास्ता नहीं है। जिनके घर बह गए हैं उनके लिए दोबारा घर बना पाना बहुत मुश्किल है। वे सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं। वे लैंड स्लाइड की घटनाओं का दोष इलाके में बड़े पैमाने पर चल रहे निर्माण पर लगाते हैं।
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