लखीसराय. नगर के चितरंजन रोड स्थित राणी सती मंदिर के प्रांगण में श्रीमद भागवत कथा एवं श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के लिए निकाली गई कलश एवं शोभायात्रा में 201 कुमारी कन्या एवं माता बहनें अपने सिर पर मंगल कलश लेकर एवं भाई लोग अपने हाथो में झंडा पताका लेकर नगर भ्रमण किए। इस कलश शोभा यात्रा के दौरान फूलों से सजे हुए रथ पर प्रवचन कर्ता डा. मनोहर मिश्र महाराज भी रथ पर सवार थे। इनके रथ के आगे-आगे श्रद्धालु भक्त गण ढोलक झाल के साथ महामंत्र का कीर्तन करते हुए नगर भ्रमण कर रहे थे। नगर भ्रमण के बाद कलश धारी माता बहनें कथा स्थल राणी सती मंदिर पहुंचे । जहाँ कलश की भाव-भरी आरती उतार कर कलश एवं कलश धारी माता बहनों का स्वागत किया गया।
विदित हो कि श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा 3 सितम्बर से 9 सितंबर तक प्रति दिन शाम 4 बजे से 7 बजे तक चलेगा। इसके मद्देनजर प्रथम दिन आज शाम के सत्र में कथा सुनाते हुए डा.मनोहर मिश्र महाराज ने ज्ञान भक्ति और वैराग्य की 'बहुत ही सारगर्भित एवं जन कल्याणकारी कथा सुनाते हुए डा. मिश्र ने कहा कि ज्ञान और वैराग्य भक्ति के दो पुत्र हैं। जिस भी व्यक्ति के जीवन में अपने लिए कल्याणकारी कर्तव्य क्या है। समाज के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है। परिवार के प्रति क्या कर्तव्य है। अपने देश और धर्म के प्रति क्या कर्तव्य है। इसका अगर हमें सही ज्ञान यानी समझ की प्राप्ति जब तक नहीं होगी। तब तक जीवन में वैराज्ञ यानि त्याग की प्रवृत्ति नहीं जगेगी और जब तक ज्ञान और वैराग्य नहीं जगते है। तब तक भक्ति प्रसन्न नहीं होती है। बल्कि भक्ति दिखावा मात्र बनकर रह जाती है। ऐसे दिखावटी भक्ति से अब तक किसी का कल्याण नहीं हुआ है। इसलिए जिस भी मनुष्य को अपना कल्याण की इच्छा हो। उसे पहले अपने कर्तव्य पालन का ज्ञान होना चाहिए और त्याग पूर्ण वृति के साथ धर्म का आचरण करते हुए अपने माता पिता की सेवा
करना, अपने बच्चों को उचित शिक्षा दिक्षा देना, अपने आचरण को शुद्ध रखने के लिए मांस, मंदिरा का सेवन नहीं करना और भगवान की कथा सुनना और भजन करना यह भगवान की वास्तविक भक्ति और इसका ज्ञान कथा रूप सत्संग मे ही प्राप्त होती है । इसलिए प्रत्येक मनुष्य को कथा सत्संग जरूर करना चाहिए।