पश्चिम बंगाल : असाधारण वीरता के लिए मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने शौर्य चक्र से किया अलंकृत

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पश्चिम बंगाल सेक्टर, कोलकाता में डिप्टी कमांडेंट दिलीप मलिक को राष्ट्र की सेवा में असाधारण वीरता के लिए

Update: 2022-06-01 10:13 GMT

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पश्चिम बंगाल सेक्टर, कोलकाता में डिप्टी कमांडेंट दिलीप मलिक को राष्ट्र की सेवा में असाधारण वीरता के लिए मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने शौर्य चक्र से अलंकृत किया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह- 2022 के मौके पर राष्ट्रपति ने उन्हें यह वीरता पदक प्रदान किया। बंगाल के हुगली जिले के रहने वाले मलिक ने 205 कोबरा बटालियन, गया (बिहार) में तैनाती के दौरान वहां 25 जुलाई 2019 को हुए एक विशेष आपरेशन की अगुवाई करते हुए मुठभेड़ में तीन कट्टर माओवादियों को मार गिराया था। मारे गए तीनों हार्डकोर माओवादी, जिनमें जोनल कमांडर भी था, उनपर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था। इस आपरेशन में अदम्य साहस व बहादुरी का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। सीआरपीएफ की ओर से एक बयान में बताया गया कि उनके साहस, नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में मातृभूमि के प्रति समर्पण व उनकी बहादुरी ने हमारे देश तथा सीआरपीएफ का नाम गौरवान्वित किया है। बता दें कि इस साल 26 जनवरी को 73वें गणतंत्र दिवस के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मलिक व देश के अन्य बहादुरों को शौर्य चक्र एवं अन्य वीरता पुरस्कार देने की घोषणा की थी। इधर, अलंकरण समारोह में राष्ट्रपति कोविंद समेत अन्य विशिष्ट लोगों ने मलिक की वीरता की सराहना की और उन्हें उज्जल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।

बयान में बताया गया कि बंगाल के हुगली जिले के हरिपाल थाना अंतर्गत जगन्नाथपुर गांव के रहने वाले 49 वर्षीय दिलीप मलिक को उनकी कड़ी मेहनत तथा देश के प्रति सेवा और निष्ठा, दृढ़ संकल्प, ईमानदारी पूर्वक कार्य के कारण अब तक विभिन्न प्रतिष्ठित पदक मिल चुके हैं। उन्हें कई बार पुलिस महानिदेशक डिस्क व प्रशंसा पत्र से भी सम्मानित किया जा चुका है, जिन्हें देश के दुश्मनों के विरुद्ध बहादुरी से लड़ाई करके विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल की है। पिछले 30 वर्षों की सेवा में मलिक ने परिचालन / वामपंथी चरमपंथी क्षेत्र जैसे छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार समेत महाराष्ट्र में अति संवेदनशील इलाके गढ़चिरौली और जम्मू एवं कश्मीर के अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र में 21 साल की सेवाएं प्रदान की है। 156 बटालियन, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में तैनाती के दौरान उन्होंने 16 उल्फा, केएनएलएफ और एनएससीएन, माओवादियों को आत्मसमर्पण कराने में भी अहम भूमिका निभाई थी।


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