पश्चिम बंगाल : पांच राज्यों की 200 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर नजर, नायडू को उम्मीदवार बनाने की अटकलें

Update: 2022-06-21 11:42 GMT

राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए मंगलवार का दिन बेहद अहम साबित हो सकता है। एक तरफ राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई है, तो दूसरी तरफ विपक्षी दलों भी अपना प्रत्याशी तय करने के लिए एकजुट हो गए हैं। विरोधी पार्टियां इस बार यूपीए की नेता सोनिया गांधी के जरिए नहीं बल्कि ममता बनर्जी के बुलावे पर दिल्ली में जुट रहे हैं। पवार के मना करने के बाद ममता बनर्जी राष्ट्रपति चुनाव में अपनी पार्टी के किसी भी नेता को मैदान में नहीं उतारेंगी, लेकिन विपक्ष की एकता के जरिए 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचाने का प्लान तैयार कर चुकी हैं

हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पहले सभी चुनावी राज्यों में पार्टी के उम्मीदवार उतारने का एलान किया था, लेकिन बाद में गोवा और मणिपुर तक ही वे सीमित हो गईं। अब ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों को साथ लेकर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार जैसे बड़े राज्यों से आने वाली 200 लोकसभा सीटों पर स्थानीय नेतृत्व के जरिए भाजपा को नुकसान पहुंचाने का प्लान तैयार किया है। देश में सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटों वाला राज्य उत्तर प्रदेश है। इसके बाद महाराष्ट्र में 48, पश्चिम बंगाल की 42, बिहार की 40 और तमिलनाडु की 39 सीटें हैं। ममता ने जिस रणनीति के साथ बंगाल का चुनाव लड़ा था। इसमें उन्होंने भाजपा के पूरे प्लान को फेल कर दिया था। अब ममता का फोकस इन बड़े राज्यों की 200 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर है।

अखिलेश-जयंत के सहारा कुछ बड़ा करने की तैयारी

दरअसल, ममता का प्लान है कि 2024 के चुनावों में भाजपा की लोकसभा सीटों को कम किया जाए। महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी के माध्यम से भाजपा की सीटों को शिवसेना और कांग्रेस के त्रिकोणीय समीकरण के साथ कम किया जाए। इसके अलावा ममता बनर्जी खुद पश्चिम बंगाल में अकेले मोर्चा संभालते हुए मौजूदा भाजपा के सांसदों को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करवा रही हैं। उससे यह साफ संदेश मिलता है कि 2024 के चुनाव में पश्चिम बंगाल में भाजपा को बड़ी चुनौती मिलने वाली है। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर भी भाजपा को मात देने के लिए ममता ने अखिलेश और जयंत को साथ जोड़ा है। सपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सीधी टक्कर दी थी। ममता अब फिर अखिलेश और जयंत के सहारे भाजपा की सीटों कैसे कम हों, इसे लेकर समीकरण तैयार कर रही हैं।

अमर उजाला से चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संतोष कुमार कहते है कि राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर संपूर्ण विपक्ष भले ही एकजुट नजर आ रहा हो, लेकिन क्षेत्रीय पार्टियों के पास ऐसा कोई सूत्रीय एजेंडा नहीं है जिससे वह एकजुट हो सके। विपक्षी एकता की कोशिशें 2019 में भी हुई थीं। लेकिन सीटों के बंटवारे के मसले पर आकर सभी दल फिर अलग हो गए। विपक्ष की एकजुटता में हमेशा सभी क्षेत्रीय दलों के हित आड़े आते हैं, जिसके चलते ये गठबंधन नहीं हो पाता है। इसका सीधा फायदा चुनावों में भाजपा को मिलता है। राष्ट्रपति चुनाव में अगर ये सभी दल एक हो भी जाते हैं, तो भी 2024 के चुनावों में ये सबी दल बड़ी चुनौती बनकर खड़े होंगे, ऐसा फिलहाल नजर नहीं आता।

भाजपा आज करेगी उम्मीदवार के नाम पर मंथन

इधर, भाजपा में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर चर्चा तेज हो गई है। मंगलवार शाम को भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक में राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगाई जा सकती है। देश के शीर्ष संवैधानिक पद के लिए उम्मीदवार का चयन करने के लिए बुलाई गई भाजपा संसदीय बोर्ड की इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो सकते हैं। इस बैठक के दौरान ही भाजपा एनडीए गठबंधन में शामिल सहयोगी दलों के साथ भी राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम को लेकर चर्चा करेगी।

नायडू को उम्मीदवार बनाने की अटकलें

सूत्रों के मुताबिक, इससे पहले भाजपा के दिग्गज नेता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अलग से बैठक कर राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं के साथ हुई चर्चा, विपक्षी दलों की तैयारी और संभावित उम्मीदवारों के नाम सहित राष्ट्रपति चुनाव के तमाम पहलुओं पर चर्चा करेंगे और इसकी जानकारी संसदीय बोर्ड की बैठक में भी रखी जायेगी। मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के दिल्ली स्थित आवास पर मुलाकात की। जिसके बाद अटकलों का एक नया दौर शुरू हो गया कि उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। इसे भाजपा के मिशन साउथ से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।

नड्डा और राजनाथ को सौंपी जिम्मेदारी

भाजपा ने राष्ट्रपति उम्मीदवार पर सर्वसम्मति बनाने के लिए देश के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बातचीत करने की जिम्मेदारी जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह को सौंपी थी। 2017 में मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार घोषित कर चौंकाने वाली भाजपा इस बार भी एक बड़ा सरप्राइज दे सकती है। यह कहा जा रहा है कि देश के कई राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव, 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव और राष्ट्रपति उम्मीदवार पर एनडीए के बाहर के दलों और यहां तक कि यूपीए गठबंधन में शामिल कुछ दलों का भी सहयोग हासिल करने के लिए भाजपा इस बार किसी आदिवासी को अपना उम्मीदवार बना सकती है। देश के अगले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून है। 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होना है और नतीजों की घोषणा 21 जुलाई को की जाएगी।

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