दुनियाभर में मशहूर है पश्चिम बंगाल के दक्षिणेश्वर काली मंदिर, यहां जानें इस मंदिर का इतिहास

हाथ और दांत सोने मढ़े हुए हैंकाली माँ का मंदिर नवरत्न की तरह निर्मित है

Update: 2022-05-08 07:35 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : इस मंदिर को कोलकाता में सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है. इस मंदिर को 1855 में रानी रासमणि ने बनवाया था. जो एक Philanthropist और काली की भक्त थीं. ये मंदिर संत और आध्यात्मिक गुरु एवं विचारक रामकृष्ण परमहंस की कर्मभूमि रही है. जिन्हें विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं. दक्षिणेश्वर काली मन्दिर के पास ही रामकृष्ण परमहंस का कमरा बना हुआ है. इस मंदिर के बाहर उनकी पत्नी शारदा माता और रानी रासमणि की समाधि बनी हुई है.

मंदिर में चांदी से कमाल का फूल बनाया गया है जिसकी लगभग हजार पंखुड़ियां हैं. इस फूल पर मां काली शस्त्रों के साथ भगवान शिव के ऊपर खड़ी हुई हैं. मंदिर में मां काली की प्रतिमा का मुख काले पत्थरों से बना हुआ है. देवी की जीभ, हाथ और दांत सोने मढ़े हुए हैंकाली माँ का मंदिर नवरत्न की तरह निर्मित है और ये 46 फुट चौड़ा और 100 फुट ऊंचा है.
धार्मिक मान्यताएं
दक्षिणेश्वर काली मंदिर की स्थापना 19 वीं शताब्दी के मध्य में रानी रासमणि ने की थी. रानी रासमणि सामजिक कार्यकर्ता के तौर पर जानी जाती थी. 1847 में रानी रासमणि अपने भक्ति भाव को व्यक्त करने के लिए भक्तों के साथ पवित्र हिंदू शहर काशी की यात्रा करने की योजना बनाई, जहां उनके साथ चौबीस नावों में रिश्तेदारों आदि को यात्रा करनी थी, लेकिन एक रात पहले ही मां ने उन्हें सपने में आकर दर्शन दिए. और कहा बनारस जाने की जरूरत नहीं है. गंगा नदी के तट पर एक सुंदर मंदिर में मेरी मूर्ति स्थापित करें और वहां मेरी पूजा की व्यवस्था करें. तब मैं स्वयं की छवि में प्रकट रहुंगी और उस स्थान पर पूजा स्वीकार करूंगी.
दक्षिणेश्वर मां काली मंदिर में हर साल दर्शन करने वाले भक्तों का ताता लगा रहा है. ये मंदिर दुनियभर में मशहूर है. भारत के सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में मां काली का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है.
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