Kolkata कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को माकपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक तन्मय भट्टाचार्य को अग्रिम जमानत दे दी, जिन पर अक्टूबर में एक स्वतंत्र यूट्यूब समाचार चैनल से जुड़ी एक महिला पत्रकार ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की खंडपीठ द्वारा अग्रिम जमानत दिए जाने से भट्टाचार्य को दोहरी राहत मिली है, क्योंकि माकपा ने 14 दिसंबर को पार्टी से उनका निलंबन रद्द कर दिया था, जो उस दिन लगाया गया था, जिस दिन महिला पत्रकार ने फेसबुक लाइव के माध्यम से यह आरोप लगाया था।
महिला पत्रकार द्वारा बारानगर पुलिस स्टेशन में भट्टाचार्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद माकपा के वरिष्ठ नेता ने अग्रिम जमानत याचिका के साथ कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। खंडपीठ ने 10,0000 रुपये के निजी मुचलके पर उनकी अग्रिम जमानत मंजूर कर ली। हालांकि, साथ ही, उन पर कुछ प्रतिबंध भी लगाए हैं।
पहली शर्त यह है कि भट्टाचार्य सीधे या परोक्ष रूप से शिकायतकर्ता से संपर्क नहीं करेंगे। दूसरी शर्त यह है कि उन्हें जांच की प्रक्रिया में पुलिस के साथ पूरा सहयोग करना होगा और तीसरी शर्त यह है कि उन्हें महीने में एक बार स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना होगा।
शुरू से ही भट्टाचार्य यौन उत्पीड़न के आरोपों से इनकार करते रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया है कि उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप उनकी छवि खराब करने की "सुनियोजित साजिश" है।भट्टाचार्य ने पहले कहा था, "मैं कम्युनिस्ट हूं और मरते दम तक कम्युनिस्ट ही रहूंगा। अगर मैं निर्दोष साबित होता हूं, तो मैं सीपीआई-एम कार्यकर्ता के रूप में काम करता रहूंगा। अगर मेरी पार्टी मुझे दोषी ठहराती है और पार्टी से निकाल देती है, तो मैं मरते दम तक कम्युनिस्ट ही रहूंगा। अगर मैं सीपीआई-एम कार्यकर्ता के रूप में काम नहीं कर पाता हूं, तो भी मैं कम्युनिस्ट ही रहूंगा।"
(आईएएनएस)