भाजपा नेता अनुपम हाजरा के 9 मिनट फेसबुक लाइव के बाद पार्टी में बढ़ी सरगर्मी
बंगाल में मवेशी तस्करी मामले में तृणमूल कांग्रेस के बाहुबली नेता व बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल की गिरफ्तारी प्रकरण पर चुप्पी को लेकर अब भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा ने अपनी पार्टी के बीरभूम जिला नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा में ही विभीषण हैं। हाजरा ने आरोप लगाया है
बंगाल में मवेशी तस्करी मामले में तृणमूल कांग्रेस के बाहुबली नेता व बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल की गिरफ्तारी प्रकरण पर चुप्पी को लेकर अब भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा ने अपनी पार्टी के बीरभूम जिला नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा में ही विभीषण हैं। हाजरा ने आरोप लगाया है कि अनुब्रत की गिरफ्तारी के मुद्दे को पार्टी के नेता नहीं भुना सके और दावा किया कि बीरभूम के कई भाजपा नेताओं के सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से संबंध हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि तृणमूल नेताओं की दया पर ही भाजपा के कई नेता वहां दिन गुजार रहे हैं।
नौ मिनट के फेसबुक लाइव के जरिए बीरभूम के बोलपुर से पूर्व सांसद हाजरा के इस ताजा आरोपों के बाद पार्टी के भीतर फिर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। हाजरा ने सवाल उठाते हुए कहा- बीरभूम में मुद्दा मिल गया है, पर इसको लेकर कोई आंदोलन क्यों नहीं हुआ?
अनुब्रत मंडल को बताया अत्याचारी
अनुब्रत की गिरफ्तारी के बाद राज्यभर में उत्साह दिखा है, पर बीरभूम या बोलपुर सांगठनिक जिले के पदाधिकारियों में इसको लेकर कोई उत्साह नहीं दिखा। बीरभूम में ही भाजपा के कुछ नेता क्यों चुप हैं? अपने दावे के समर्थन में हाजरा ने सबूत होने की भी बात कही हैं। उन्होंने कहा कि बीरभूम के कई भाजपा नेताओं के तृणमूल से संबंध हैं। तृणमूल नेताओं की दया पर ही भाजपा के कई नेता वहां दिन गुजार रहे हैं। उन्होंने कहा कि जरूरी हुआ तो ऐसे नेताओं का नाम भी बता दूंगा। हाजरा ने आगे कहा कि उन नेताओं के सिर पर जो भी दादा का हाथ क्यों न हो, मैं चुप नहीं रहूंगा। अनुब्रत मंडल एक अत्याचारी नेता है। उसके कारण भाजपा में कईयों की जानें गई है।
टीएमसी से भाजपा में शामिल हुए थे अनुपम हाजरा
हाजरा ने यह भी आरोप लगाया कि अनुब्रत की गिरफ्तारी के बाद आंदोलन की कार्यसूची पर पार्टी के पदाधिकारियों ने उनसे चर्चा करना तो दूर मिलना तक उचित नहीं समझा। उन्होंने कहा कि बीरभूम में भाजपा के सांगठनिक पदों पर विराजमान नेताओं को इस मुद्दे पर लगातार आंदोलन करना था। इससे संगठन मजबूत होता और पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी भरोसा मिलता, पर ऐसा नहीं किया गया। बताते चलें कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले तृणमूल छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले अनुपम हाजरा प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ भी पिछले दिनों कई बार सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने पिछले साल विधानसभा चुनाव में हार के लिए भी प्रदेश नेतृत्व की आलोचना की थी और इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था।