कलकत्ता हाई कोर्ट के अडिश्नल सॉलिसिटर जनरल ने दिया इस्तीफा
कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) के अडिश्नल सॉलिसिटर जनरल वाई जे दस्तूर ने इस्तीफा दे दिया है.
कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) के अडिश्नल सॉलिसिटर जनरल वाई जे दस्तूर ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू (Union Law Minister Kiran Rijiju) को अपना इस्तीफा (Resignation) सौंपा है. वह कई मामलों की पैरवी कर चुके हैं. उन्होंने आखिरी बार बीरभूम हिंसा मामले की सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) जांच के लिए केस लड़ा था. एक वेबसाइट के अनुसार, उन्होंने केंद्रीय मंत्री को सोमवार को लेटर भेजा है, जिसमें उन्होंने बताया कि वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं. हालांकि इसमें उन्होंने इस्तीफे के पीछे के कारणों के बारे में नहीं बताया है. दस्तूर को अडिश्नल सॉलिसिटर जनरल के तौर पर साल 2020 में 30 जून को नियुक्त किया गया था. उनका कार्यकाल तीन साल तक का था.
वह हाल ही में कई बड़े हाई प्रोफाइल मामलों से जुड़े रहे हैं. जिनमें हाई कोर्ट की कई पीठों ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. वाई दे दस्तूर एक महीने से भी कम समय में इस्तीफा सौंपने वाले केंद्र सरकार के दूसरे बड़े कानून अधिकारी हैं. इससे पहले 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के एएसजी अमन लेखी ने इस्तीफा दे दिया था और अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस दोबारा शुरू कर दी. उन्होंने केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू को दो पंक्तियों का एक लेटर भेजा था. जिसमें उन्होंने बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट के अडिश्नल सॉलिसिटर जनरल के पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहे हैं.
इस्तीफे की खास वजह नहीं बताई
वाई जे दस्तूर ने अपने इस्तीफे के पीछे की वजह नहीं बताई है. ठीक वैसे ही अमन लेखी ने भी इस्तीफा देने की कोई खास वजह नहीं बताई. उन्हें मार्च 2018 में इस पद पर नियुक्त किया गया था. इसके बाद 2020 में 30 जून को तीन साल की अवधि तक के लिए यानी 2023 तक के लिए फिर से नियुक्त किया गया था. वह सुप्रीम कोर्ट के साथ ही कई हाई कोर्ट में भी हाई प्रोफाइल केस से जुड़े रहे हैं. वह कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला से लेकर टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले सहित कई प्रमुख आपराधिक मामलों में पेश हुए हैं.
बीरभूम में क्या हुआ था?
बीरभूम हिंसा की बात करें, तो इस मामले में सीबीआई जांच को अब तेज कर दिया गया है. रविवार को सीबीआई की टीम ने एक और आरोपी को गिरफ्तार किया. ये मामले में पांचवीं गिरफ्तारी है. पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट में ये हिंसा हुई थी. यहां बोगतुई गांव में 21 मार्च के दिन भीषण नरसंहार में नौ लोगों को मार दिया गया. जिनमें तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय ग्राम पंचायत प्रमुख भी शामिल थे.