अपर सचिव आपदा प्रबंधन विभाग जितेंद्र कुमार सोनकर ने बताया कि केंद्र की स्थापना के बाद राज्य में भूस्खलन की घटनाओं का अध्ययन और विश्लेषण के साथ इनके न्यूनीकरण की दिशा में अंतरराष्ट्रीय मानकों के स्तर पर वैज्ञानिक ढंग से काम किया जा सकेगा।
प्रदेश रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1850 के तहत पंजीकृत उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) उत्तराखंड ही नहीं देशभर में काम करेगा। इस केंद्र की स्थापना प्रदेश में भूस्खलन प्रबंधन, ढलान स्थिरीकरण और अन्य आकस्मिक घटनाओं के उत्कृष्टता केंद्र के रूप में की जा रही है। बीते दिनों केंद्र की स्थापना और ढांचे को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है।
शासन की ओर से केंद्र की स्थापना के उद्देश्यों की प्रस्तावना जारी की गई है। अपर सचिव आपदा प्रबंधन विभाग जितेंद्र कुमार सोनकर ने बताया कि केंद्र की स्थापना के बाद राज्य में भूस्खलन की घटनाओं का अध्ययन और विश्लेषण के साथ इनके न्यूनीकरण की दिशा में अंतरराष्ट्रीय मानकों के स्तर पर वैज्ञानिक ढंग से काम किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि यह देश में अपनी तरह का पहला संस्थान होगा, प्रदेश ही नहीं देशभर में अपनी सेवाएं देगा। उन्होंने बताया कि यह उत्तराखंड शासन की एक स्वंतत्र और स्वायत्तशासी संस्था होगी। शुरूआत में केंद्र का संचालन सचिवालय से ही किया जाएगा, बाद में इसे आईटी पार्क या झाझरा में शिफ्ट किया जा सकता है।
तकनीकी एवं गैर तकनीकी श्रेणी के कुल 75 पदों का सृजन
यूएलएमएमसी के लिए प्रशासनिक, तकनीकी एवं गैर तकनीकी श्रेणी के कुल 75 पदों का सृजन किया गया है। मुख्य सचिव इसके अध्यक्ष होंगे, जबकि 18 अन्य सदस्यों को शामिल किया जाएगा। केंद्र के संचालन, शोध एवं अन्य कार्यों के लिए धनराशि का प्रबंध केंद्र सरकार की संगत योजनाओं और राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग की ओर से किया जाएगा।