हल्द्वानी न्यूज़: अभी रॉयल्टी विवाद नहीं सुलझा है लेकिन वन विभाग ने गौला नदी में खनन की तैयारियां शुरू कर दी हैं। गौला नदी में सीमांकन और खनन वाहनों की आवाजाही के लिए वन मार्गों की मरम्मत शुरू कर दी गई है। गौला नदी में 54.25 लाख घनमीटर उपचखनिज का खनन शीशमहल से लेकर शांतिपुरी तक 11 उपखनिज निकासी गेटों से 7,450 वाहनों के माध्यम से होता है। नदी में खनन से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर 30 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। सरकार को 200 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है। इधर, गौला नदी में खनन पर संकट मंडरा रहा है। गौला नदी में खनन के लिए पंजीकृत डंपर स्वामियों ने नदी के उपखनिज और समतलीकरण के उपखनिज की रॉयल्टी में अंतर को देखते हुए खनन करने से इंकार कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि जब तक राज्य सरकार पट्टों, समतलीकरण की तर्ज पर नदी से निकलने वाले उपखनिज की रॉयल्टी शुल्क कम नहीं करती है तब तक वे नदी में खनन के लिए वाहन नहीं उतारेंगे। बावजूद इसके वन विभाग ने नदी में खनन की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
तराई पूर्वी वन डिवीजन की गौला रेंज ने नदी में खनन के लिए सीमांकन शुरू कर दिया है। नदी के दोनों किनारों से 25-25 प्रतिशत इलाका छोड़कर सीमांकन पिलर बनाने का काम शुरू कर दिया है। इसके लिए नदी के दोनों छोरों से पैमाइश शुरू कर दी गई है। वहीं नदी में वाहनों की आवाजाही के लिए खनन निकासी गेट से नदी में जाने के मार्ग की भी मरम्मत शुरू कर दी गई है। वन अधिकारियों का दावा है कि खनन सत्र एक अक्टूबर से शुरू होता है लेकिन नदी में खनन छठ पूजा के बाद से ही गति पकड़ता है। गौला नदी में पानी कम हो गया है, नदी के दोनों किनारों पर 25 प्रतिशत इलाका छोड़कर सीमांकन पिलर्स बनाने का काम शुरू कर दिया है। इसी के साथ ही नदी में वाहनों की आवाजाही के लिए वन मार्ग की भी मरम्मत शुरू हो गई है। – आरपी जोशी, गौला रेंजर, हल्द्वानी
बुग्गियों के लिए भी है अलग से गेट: गौला नदी एकमात्र नदी है जिसमें बुग्गियों से भी खनन होता है। राजपुरा क्षेत्र में एक गेट सिर्फ बुग्गियों के लिए आवंटित है। तीन सौ से अधिक बुग्गी वाले इस गेट से आरबीएम निकासी करते हैं।
नदी में वाहन उतारने के लिए जेब होगी ढीली: इस बार गौला नदी में वाहन उतारने के लिए वाहन स्वामियों को जेब ढीली करनी पड़ेगी। नदी में वाहनों की फिटनेस, परमिट, टैक्स, बीमा, सर्विस मिलाकर कुल 70-80 हजार रुपये खर्च करने होंगे। ऐसे में वाहन स्वामी रॉयल्टी कम नहीं होने तक वाहनों पर खर्च को लेकर तैयार नहीं हो रहे हैं।