घूंघट बनी ज़ंज़ीर

Update: 2022-07-16 08:26 GMT

घूंघट बनी ज़ंज़ीर

घूंघट प्रथा के पर्दो में।

लिपटी है सभी औरतें।।

घट न उठा पाती।

समाज के डर से।।

सुंदर दृश्य न देख पाती।

घूंघट के अंधकार से।।

इस अभिशाप से डरे।

समाज की नारी।

घूंघट को क्यों माना जाता नारी सम्मान?

क्यों लोगों ने बना दिया इसे प्रथा?

घूंघट के परदों से लिपट कर।

भूल जाती अपने सभी सपने।।

समाज की इस प्रथा ने।

नारी को दिया असम्मान।।

जकड़ लिया उसकी आजादी को।

घूंघट प्रथा की जंजीरों ने।। घूंघट बनी ज़ंज़ीर

(चरखा फीचर)

पूजा गोस्वामी

रौलियाना, उत्तराखंड

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