उत्तराखंड के पहले पिच क्यूरेटर मोहन सिंह की अबू धाबी में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

उत्तराखंड से आने वाले पहले पिच क्यूरेटर मोहन सिंह की अबू धाबी में संदिग्ध अवस्था में मौत की खबर आई है. यह घटना तब हुई है जब रविवार को अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के निर्णायक मैच होना था.

Update: 2021-11-08 07:42 GMT

जनता से रिश्ता। उत्तराखंड से आने वाले पहले पिच क्यूरेटर मोहन सिंह की अबू धाबी में संदिग्ध अवस्था में मौत की खबर आई है. यह घटना तब हुई है जब रविवार को अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के निर्णायक मैच होना था.

उत्तराखंड से पहले पिच क्यूरेटर थे मोहन: उत्तराखंड के पहले पिच क्यूरेटर मोहन सिंह की मौत के सही कारणों का पता फिलहाल नहीं चल पाया है. रविवार को अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच हुए महत्वपूर्ण मैच से ठीक पहले हुई इस घटना के बाद सभी एजेंसियां सकते में हैं कि आखिर इतने बड़े मैच से ठीक पहले पिच तैयार करने वाले एक्सपर्ट के साथ ऐसा क्या हुआ था. हालांकि जांच एजेंसियों ने अपना काम शुरू कर दिया है लेकिन अभी कई ऐसे अनसुलझे सवाल हैं जिनका जवाब हर किसी के जेहन में है.
मोहन ने मोहाली में ली थी ट्रेनिंग: आपको बता दें कि उत्तराखंड में गढ़वाल के रहने वाले मोहन सिंह वर्ष 2004 से लगातार पिच क्यूरेटर के तौर पर कार्य कर रहे थे. पिच क्यूरेटर की ट्रेनिंग लेने के बाद से ही वह अबू धाबी में कार्यरत थे. संदिग्ध परिस्थितियों में हुई उनकी मौत पर स्थानीय प्रशासन ने जानकारी दी है कि न्यूजीलैंड-अफगानिस्तान मैच से ठीक पहले वह अपने कमरे में मृत पाए गए. उसी शेख जायद स्टेडियम के विकेट पर ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, भारत, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और वेस्टइंडीज की टीमों के मैच भी हुए थे. सभी विकेटों को भी मोहन सिंह ने ही तैयार किया था.
2004 में गए थे अबू धाबी: पंजाब क्रिकेट स्टेडियम मोहाली में क्यूरेटर बनने के प्रशिक्षण के बाद सितंबर 2004 में मोहन अबू धाबी गए. वे 1994 से अबू धाबी में ग्राउंड सुपरवाइजर के रूप में कार्यरत थे. वहां वो टेनिस सहित कई अन्य खेलों में कोचों की सहायता करते थे. क्रिकेट पर अपना ध्यान केंद्रित करने से पहले उनको तैराकी का शौक था.
मोहन की मौत पर उठ रहे सवाल: मोहन सिंह की मौत को लेकर सवाल उठ रहे हैं. इससे पहले भी विश्व कप के दौरान ऐसा हो चुका है. 17 मार्च 2007 को पाकिस्तान की टीम के वर्ल्ड कप से हारकर बाहर होने के बाद होटल में उनके कोच बॉब वूल्मर की डेड बॉडी मिली थी. किंग्स्टन, जमैका में उनके होटल रूम के बाथरूम से उनकी लाश मिली थी. दरअसल इससे एक दिन पहले ही पाकिस्तान टीम को आयरलैंड से बुरी तरह से हार मिली थी. इसके साथ ही वो विश्व कप से भी बाहर हो गई थी.
फिलहाल भारत टी20 विश्व कप से बाहर हो चुका है. ऐसे में भारतीय मूल के पिच क्यूरेटर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने भी सवाल खड़ कर दिये हैं. मैच फिक्सिंग के आरोपों ने पहले इस जेंटलमैन खेल को सेंसेशनल बनाया हुआ है. उस पर भारत के नजरिये से इस महत्वपूर्ण मैच से पहले पिच क्यूरेटर की मौत बड़ा संदेह पैदा करती है.
15 साल से थे अबु धाबी क्रिकेट का हिस्सा: उत्तराखंड के रहने वाले मोहन सिंह पिछले 15 साल से अबू धाबी क्रिकेट का हिस्सा थे और शेख जायद स्टेडियम में क्यूरेटर की भूमिका में थे. समाचार एजेंसी पीटीआई ने यूएई क्रिकेट के सूत्रों के हवाले से दावा किया कि 45 साल के मोहन सिंह अवसाद से परेशान थे. हालांकि न्यूजीलैंड-अफगानिस्तान मैच से पहले उन्होंने पिच का जायजा लिया था. इसके बाद वह अपने कमरे में लौट गए थे. बाद में कमरे में उन्हें फंदे पर लटका पाया गया. उनके परिवार में पत्नी और बेटी हैं जो जल्द ही अबुधाबी पहुंचेंगी.
ICC ने दी श्रद्धांजलि: मोहन सिंह की मौत को लेकर अभी तक ये साफ नहीं है कि कैसे हुई है. इसको लेकर स्थानीय क्रिकेट बोर्ड ने कोई जानकारी नहीं दी है. हालांकि अबू धाबी क्रिकेट और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. अपने बयान में अबू धाबी क्रिकेट ने कहा-
"हमें यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि मुख्य क्यूरेटर मोहन सिंह का आज निधन हो गया है. मोहन 15 साल से अबुधाबी क्रिकेट के साथ थे और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने इस आयोजन स्थल की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मोहन के परिवार और हमारे मैदानकर्मियों की सहमति से रविवार को अफगानिस्तान बनाम न्यूजीलैंड का आईसीसी टी20 विश्व कप के सुपर 12 मैच का आयोजन यहां तय कार्यक्रम के मुताबिक हुआ."
4 महीने से अवसाद में थे मोहन! : समाचार एजेंसी पीटीआई ने विश्व कप से जुड़े सूत्रों से बात कर जानकारी दी है कि जब मोहन तय समय पर मैदान में नहीं पहुंचे, तो साथी उनके कमरे में गए, जहां इस हादसे के बारे में पता चला. सूत्रों के मुताबिक, "मोहन सिंह ने रविवार सुबह मैदान और पिच का निरीक्षण किया था. उन्होंने व्यवस्थाओं के बारे में बात की और वापस चले गए थे. जब वह तय समय पर वापस मैदान पर नहीं पहुंचे तो लोग उनके कमरे में गए और उन्हें छत से लटका पाया गया. उनकी मौत का कारण आत्महत्या हो सकती है."
इसके साथ ही ये भी बताया गया है कि मोहन सिंह करीब चार महीने से काफी डिप्रेशन में थे. डिप्रेशन का क्या कारण था ये किसी को नहीं पता. न ही किसी को ये पता है कि क्या वह कोई मेडिकल परामर्श ले रहे थे या नहीं.
BCCI के दिग्गज दलजीत सिंह से ली थी ट्रेनिंग: मोहन सिंह ने भारत में रहकर बीसीसीआई के तहत ही अपने काम की शुरुआत की थी. उन्होंने बोर्ड के दिग्गज क्यूरेटर दलजीत सिंह से पिच और मैदान से जुड़ी बारीकियां सीखी थीं. मोहन सिंह ने 2000 के दशक की शुरुआत में यूएई जाने से पहले मोहाली में दलजीत सिंह की देखरेख में काम किया था.


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